06-05-2022 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - तुम
ब्राह्मणों को ईश्वर की गोद मिली है, तुम्हें नशा रहना चाहिए बाप ने इस तन द्वारा
हमें अपना बनाया है''
प्रश्नः-
बाप ने कौन सा
दिव्य कर्तव्य किया है? जिस कारण उनकी इतनी महिमा गाई हुई है?
उत्तर:-
पतितों
को पावन बनाना। सभी मनुष्यों को माया रावण की जंजीरों से छुड़ाना - यह दिव्य
कर्तव्य एक बाप ही करते हैं। बेहद के बाप से ही बेहद सुख का वर्सा मिलता है, जो फिर
आधाकल्प तक चलता है। सतयुग में है गोल्डन जुबली, त्रेता में है सिल्वर जुबली। वह
सतोप्रधान, वह सतो। दोनों को ही सुखधाम कहा जाता है। ऐसे सुखधाम की स्थापना बाप ने
की है, इसलिए उनकी महिमा गाई जाती है।
गीत:-
इन्साफ का
मन्दिर है यह....
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) देवता वर्ण में जाने के लिए भोजन की बहुत परहेज रखनी है। कोई भी
अशुद्ध चीज़ नहीं खानी है।
2) इस पुरानी छी-छी दुनिया, जो कि अब खत्म होने वाली है, इससे बेहद का वैराग्य
रख स्वर्ग के रचयिता बाप को याद करना है।
वरदान:-
अपनी शक्तियों वा गुणों द्वारा निर्बल को शक्तिवान
बनाने वाले श्रेष्ठ दानी वा सहयोगी भव
श्रेष्ठ स्थिति वाले सपूत
बच्चों की सर्व शक्तियाँ और सर्व गुण समय प्रमाण सदा सहयोगी रहते हैं। उनकी सेवा का
विशेष स्वरूप है-बाप द्वारा प्राप्त गुणों और शक्तियों का अज्ञानी आत्माओं को दान
और ब्राह्मण आत्माओं को सहयोग देना। निर्बल को शक्तिवान बनाना - यही श्रेष्ठ दान वा
सहयोग है। जैसे वाणी द्वारा वा मन्सा द्वारा सेवा करते हो ऐसे प्राप्त हुए गुणों और
शक्तियों का सहयोग अन्य आत्माओं को दो, प्राप्ति कराओ।
स्लोगन:-
जो दृढ़
निश्चय से भाग्य को निश्चित कर देते हैं वही सदा निश्चिंत रहते हैं।