08-05-2022 प्रात:मुरली ओम् शान्ति 31.12.90 "बापदादा" मधुबन
तपस्या ही बड़े ते बड़ा
समारोह है, तपस्या अर्थात् बाप से मौज मनाना
वरदान:-
शुद्ध संकल्प
और श्रेष्ठ संग द्वारा हल्के बन खुशी की डांस करने वाले अलौकिक फरिश्ते भव
आप ब्राह्मण बच्चों
के लिए रोज़ की मुरली ही शुद्ध संकल्प हैं। कितने शुद्ध संकल्प बाप द्वारा रोज़
सवेरे-सवेरे मिलते हैं, इन्हीं शुद्ध संकल्पों में बुद्धि को बिजी रखो और सदा बाप
के संग में रहो तो हल्के बन खुशी में डांस करते रहेंगे। खुश रहने का सहज साधन है -
सदा हल्के रहो। शुद्ध संकल्प हल्के हैं और व्यर्थ संकल्प भारी हैं इसलिए सदा शुद्ध
संकल्पों में बिजी रह हल्के बनों और खुशी की डांस करते रहो तब कहेंगे अलौकिक फरिश्ते।
स्लोगन:-
परमात्म प्यार की पालना का स्वरूप है - सहजयोगी जीवन।