09.01.2021
"मीठे बच्चे - बेहद के बाप को याद करना - यह है गुप्त बात, याद से याद मिलती है, जो याद नहीं करते उन्हें बाप भी कैसे याद करें"
प्रश्नः-
संगम पर तुम बच्चे कौन सी पढ़ाई पढ़ते हो जो सारा कल्प नहीं पढ़ाई जाती?
उत्तर:-
जीते जी शरीर से न्यारा अर्थात् मुर्दा होने की पढ़ाई अभी पढ़ते हो क्योंकि तुम्हें कर्मातीत बनना है। बाकी जब तक शरीर में हैं तब तक कर्म तो करना ही है। मन भी अमन तब हो जब शरीर न हो इसलिए मन जीते जगतजीत नहीं, लेकिन माया जीते जगतजीत।
वरदान:-
सर्व खाते और रिश्ते एक बाप से रखने वाले डबल लाइट फरिश्ता भव
डबल लाइट फरिश्ता बनने के लिए देह के भान से भी परे रहो क्योंकि देह भान मिट्टी है, यदि इसका भी बोझ है तो भारीपन है। फरिश्ता अर्थात् अपनी देह के साथ भी रिश्ता नहीं। बाप का दिया हुआ तन भी बाप को दे दिया। अपनी वस्तु दूसरे को दे दी तो अपना रिश्ता खत्म हुआ। सब हिसाब-किताब, सब लेन-देन बाप से बाकी सब पिछले खाते और रिश्ते खत्म - ऐसे सम्पूर्ण बेगर ही डबल लाइट फरिश्ते हैं।
स्लोगन:-
अपनी विशेषताओं को प्रयोग में लाओ तो हर कदम में प्रगति का अनुभव करेंगे।