09-06-2022
“मीठे बच्चे - तुम
ब्राह्मण कुल श्रेष्ठ, विष्णुकुल का बनने वाले हो, इसलिए तुम्हें पक्का वैष्णव बनना
है, कोई भी बेकायदे चीज़ें प्याज़ आदि भी नहीं खाना है''
प्रश्नः-
तुम बच्चों को
किस परीक्षा से डरना व मूँझना नहीं है?
उत्तर:-
अगर
चलते-चलते इस पुरानी जुत्ती (शरीर) को कोई तकलीफ होती है, बीमारी आदि आती है तो इससे
डरना व मूंझना नहीं है और ही खुश होना है, क्योंकि तुम जानते हो - यह कर्म भोग है।
पुराना हिसाब-किताब चुक्तू हो रहा है। हम योगबल से हिसाब-किताब नहीं चुक्तू कर सके
तो कर्म भोग से चुक्तू हो रहा है। यह जल्दी खत्म हो तो अच्छा है।
गीत:-
हमारे तीर्थ न्यारे हैं....
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) ऊंच पद पाने के लिए शिवबाबा की हट्टी (दुकान) का अच्छा सेल्समैन बनना
है। हर एक की नब्ज देखकर फिर उसे ज्ञान देना है।
2) क्रोध के वश हो मुख से दु:खदाई बोल नहीं बोलने हैं। बाप का मददगार बनने की
गैरन्टी कर कोई भी डिससर्विस का काम नहीं करना है।
वरदान:-
नथिंगन्यु की स्मृति से विघ्नों को खेल समझकर पार करने
वाले अनुभवी मूर्त भव
विघ्नों का आना - यह भी
ड्रामा में आदि से अन्त तक नूंध है लेकिन वह विघ्न असम्भव से सम्भव की अनुभूति कराते
हैं। अनुभवी आत्माओं के लिए विघ्न भी खेल लगते हैं। जैसे फुटबाल के खेल में बाल आता
है, ठोकर लगाते हैं, खेल खेलने में मजा आता है। ऐसे यह विघ्नों का खेल भी होता रहेगा,
नथिंगन्यु। ड्रामा खेल भी दिखाता है और सम्पन्न सफलता भी दिखाता है।
स्लोगन:-
सबके
गुणों को देख विशेषताओं की खुशबू फैलाओ तो यह संसार सुखमय बन जायेगा।