14-06-2022 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - 21 जन्मों
की पूरी प्रालब्ध लेने के लिए बाप पर पूरा-पूरा बलि चढ़ो, अधूरा नहीं, बलि चढ़ना
अर्थात् बाप का बन जाना''
प्रश्नः-
किस गुह्य बात
को समझने के लिए बेहद की बुद्धि चाहिए?
उत्तर:-
यह
बेहद का बना बनाया ड्रामा है, जो पास्ट हुआ वो ड्रामा। अब यह ड्रामा पूरा होता है,
हम घर जायेंगे, फिर नये सिर पार्ट शुरू होगा.. यह गुह्य बातें समझने के लिए बेहद की
बुद्धि चाहिए। बेहद रचना का ज्ञान बेहद का बाप ही देते हैं।
प्रश्नः-
मनुष्य किस
बात में हाय-हाय कर रड़ी मारते हैं और तुम बच्चे खुश होते हो?
उत्तर:-
अज्ञानी मनुष्य थोड़ी सी बीमारी आने पर रड़ी मारते, तुम बच्चे खुश होते क्योंकि
समझते हो यह भी पुराना हिसाब-किताब चुक्तू हो रहा है।
गीत:-
तूने रात गंवाई सोके....
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) श्रीमत पर अपने कुल का उद्धार करना है। सारे कुल को पावन बनाना है।
बाप को अपना सच्चा-सच्चा पोतामेल देना है।
2) याद के बल से अपनी काया को निरोगी बनाना है। बाप पर पूरा-पूरा बलिहार जाना
है। बुद्धियोग और संग तोड़ एक संग जोड़ना है।
वरदान:-
एक बाप दूसरा न कोई इस स्मृति से निमित्त बनकर सेवा
करने वाले सर्व लगावमुक्त भव
जो बच्चे सदा एक बाप दूसरा
न कोई - इसी स्मृति में रहते हैं उनका मन-बुद्धि सहज एकाग्र हो जाता है। वह सेवा भी
निमित्त बनकर करते हैं इसलिए उसमें उनका लगाव नहीं रहता। लगाव की निशानी है - जहाँ
लगाव होगा वहाँ बुद्धि जायेगी, मन भागेगा इसलिए सब जिम्मेवारियां बाप को अर्पण कर
ट्रस्टी वा निमित्त बनकर सम्भालो तो लगावमुक्त बन जायेंगे।
स्लोगन:-
विघ्न ही आत्मा को बलवान बनाते हैं, इसलिए विघ्नों से डरो मत।