15-06-2022 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - यह तुम सबकी
वानप्रस्थ अवस्था है, वापस घर जाना है इसलिए बाप और घर को याद करो, पावन बनो, सब
खाते खलास करो''
प्रश्नः-
बाप ही बच्चों
को कौन सा धीरज देते हैं?
उत्तर:-
बच्चे,
अभी इस रुद्र ज्ञान यज्ञ में अनेक प्रकार के विघ्न पड़ते हैं, परन्तु धीरज धरो, जब
तुम्हारा प्रभाव निकलेगा, ढेर के ढेर आने लगेंगे फिर सब तुम्हारे आगे आकर माथा
झुकायेंगे। बांधेलियों के बन्धन खलास हो जायेंगे। जितना तुम बाप को याद करेंगे,
बंधन टूटते जायेंगे। तुम विकर्माजीत बनते जायेंगे।
गीत:-
भोलेनाथ से निराला....
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) होशियार व्यापारी बन पुराने सब खाते खलास कर सुख का खाता शुरू करना
है। याद में रह विकर्मो के बन्धन काटने हैं। धीरज धरना है, उतावला नहीं होना है।
2) घर में बैठ भोजन बनाते, हर कर्म करते बाप की याद में रहना है। बाप जो अविनाशी
ज्ञान रत्न देते हैं। उनसे अपनी झोली भर दूसरों को दान करना है।
वरदान:-
साक्षी बन माया के खेल को मनोरंजन समझकर देखने वाले
मास्टर रचयिता भव
माया कितने भी रंग दिखाये,
मैं मायापति हूँ, माया रचना है, मैं मास्टर रचयिता हूँ - इस स्मृति से माया का खेल
देखो, खेल में हार नहीं खाओ। साक्षी बनकर मनोरंजन समझकर देखते चलो तो फर्स्ट नम्बर
में आ जायेंगे। उनके लिए माया की कोई समस्या, समस्या नहीं लगेगी। कोई क्वेश्चन नहीं
होगा। सदा साक्षी और सदा बाप के साथ की स्मृति से विजयी बन जायेंगे।
स्लोगन:-
मन को
शीतल, बुद्धि को रहमदिल और मुख को मृदु (मीठा)बनाओ।