20-06-2022 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - देह सहित इन
आंखों से जो कुछ देखते हो - उसे भूल एक बाप को याद करो क्योंकि अब यह सब खत्म होने
वाला है।''
प्रश्नः-
सतयुग में
राज्य पद की लाटरी विन करने का पुरूषार्थ क्या है?
उत्तर:-
सतयुग
में राज्य पद लेना है तो अपने ऊपर पूरी नज़र रखो। अन्दर कोई भी भूत न रहे। अगर कोई
भी भूत होगा तो लक्ष्मी को वर नहीं सकेंगे। राजा बनने के लिए प्रजा भी बनानी है। 2-
यहाँ ही रोना प्रूफ बनना है। किसी देहधारी की याद में शॉक आया, शरीर छूटा तो पद
भ्रष्ट हो जायेगा इसलिए बाप की याद में रहने का पुरुषार्थ करना है।
गीत:-
आज नहीं तो कल...
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) किसी भी देहधारी में अपनी बुद्धि नहीं लटकानी है। याद का रिकार्ड ठीक
रखना है। कभी भी रोना नहीं है।
2) अपने शान्ति स्वधर्म में स्थित रहना है। शान्ति के लिए भटकना नहीं है। सबको
इस भटकने से छुड़ाना है। शान्तिधाम और सुखधाम को याद करना है।
वरदान:-
निर्मानता द्वारा नव निर्माण करने वाले निराशा और
अभिमान से मुक्त भव
कभी भी पुरूषार्थ में
निराश नहीं बनो। करना ही है, होना ही है, विजय माला मेरा ही यादगार है, इस स्मृति
से विजयी बनो। एक सेकण्ड वा मिनट के लिए भी निराशा को अपने अन्दर स्थान न दो।
अभिमान और निराशा - यह दोनों महाबलवान बनने नहीं देते हैं। अभिमान वालों को अपमान
की फीलिंग बहुत आती है, इसलिए इन दोनों बातों से मुक्त बन निर्मान बनो तो नव
निर्माण का कार्य करते रहेंगे।
स्लोगन:-
विश्व
सेवा के तख्तनशीन बनो तो राज्य तख्तनशीन बन जायेंगे।