23-06-2022 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - यहाँ के
करोड़ अरब तुम्हारे काम नहीं आने हैं, सब मिट्टी में मिल जायेगा, इसलिए तुम अब
सचखण्ड के लिए सच्ची कमाई करो''
प्रश्नः-
किस एक बात के
कारण तुम ब्राह्मण देवताओं से भी ऊंच माने जाते हो?
उत्तर:-
हम
ब्राह्मण अभी सर्व की रूहानी सेवा करते हैं। हम सभी आत्माओं का मिलन परमात्मा बाप
से कराते हैं। यह पब्लिक सेवा देवतायें नहीं करते। वहाँ तो राजा-रानी तथा प्रजा
हैं, जो यहाँ का पुरुषार्थ किया है उसकी प्रालब्ध भोगते हैं। सेवा नहीं करते इसलिए
तुम सेवाधारी ब्राह्मण देवताओं से भी ऊंचे हो।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) बाप समान सुखदाता बनना है। मन्सा-वाचा-कर्मणा किसी को भी दु:ख नहीं
देना है। सदा शान्तचित्त और हर्षितमुख रहना है।
2) फालतू ख्यालातों में टाइम वेस्ट नहीं करना है। बाप की अन्दर से महिमा करनी
है।
वरदान:-
श्रेष्ठ मत प्रमाण हर कर्म कर्मयोगी बन करने वाले
कर्मबन्धन मुक्त भव
जो बच्चे श्रेष्ठ मत
प्रमाण हर कर्म करते हुए बेहद के रूहानी नशे में रहते हैं, वह कर्म करते कर्म के
बंधन में नहीं आते, न्यारे और प्यारे रहते हैं। कर्मयोगी बनकर कर्म करने से उनके
पास दु:ख की लहर नहीं आ सकती, वे सदा न्यारे और प्यारे रहते हैं। कोई भी कर्म का
बन्धन उन्हें अपनी ओर खींच नहीं सकता। सदा मालिक होकर कर्म कराते हैं इसलिए
बन्धनमुक्त स्थिति का अनुभव होता है। ऐसी आत्मा स्वयं भी सदा खुश रहती है और दूसरों
को भी खुशी देती है।
स्लोगन:-
अनुभवों
की अथॉरिटी बनो तो कभी धोखा नहीं खायेंगे।