24-06-2022 प्रात:मुरली ओम् शान्ति 15.12.63 "बापदादा" मधुबन
(मम्मा के पुण्य स्मृति
दिवस पर प्रात:क्लास में सुनाने के लिए मातेश्वरी जी के मधुर महावाक्य)
'कर्म ही सुख और दु:ख का कारण हैं"
वरदान:-
अपने पूज्य
स्वरूप की स्मृति से सदा रूहानी नशे में रहने वाले जीवनमुक्त भव
ब्राह्मण जीवन का मजा
जीवनमुक्त स्थिति में है। जिन्हें अपने पूज्य स्वरूप की सदा स्मृति रहती है उनकी
आंख सिवाए बाप के और कहाँ भी डूब नहीं सकती। पूज्य आत्माओं के आगे स्वयं सब व्यक्ति
और वैभव झुकते हैं। पूज्य किसी के पीछे आकर्षित नहीं हो सकते। देह, सम्बन्ध, पदार्थ
वा संस्कारों में भी उनके मन-बुद्धि का झुकाव नहीं रहता। वे कभी किसी बंधन में बंध
नहीं सकते। सदा जीवन-मुक्त स्थिति का अनुभव करते हैं।
स्लोगन:-
सच्चा सेवाधारी वह है जो निमित्त और निर्माण है।