“मीठे बच्चे
मोस्ट
बील्वेड रहमतुल्आल्मीन आये हैं तुम बच्चों को दुनिया का मालिक बनाने, तुम उनकी
सिरात ए मुस्तकीम पर चलो”
सवाल:-
इन्सान पाक
परवरदिगार के बारे में कौनसी दो बातें एक-दूसरे से अलग बोलते हैं?
जवाब:-
एक ओर कहते
- पाक परवरदिगार अटूट रोशनी है और दूसरी ओर कहते वह तो नाम-रूप से न्यारा है।
यह दोनों बातें एक-दूसरे से अलग हो जाती हैं। हक़ीक़ी तौर से न जानने के सबब ही
नापाक बनते जाते हैं। रब जब आते हैं तो अपनी हक़ीक़ी पहचान देते हैं।
नग़मा:-
मरना तेरी गली में........
आमीन।
बच्चों ने
नग़मा सुना। जब कोई मरते हैं तो बाप के पास विलादत लेंगे। कहने में यही आता है
कि बाप के पास विलादत लिया, माँ का नाम नहीं लेंगे। मुबारकबाद बाप को दी जाती
हैं। अभी तुम बच्चे जानते हो हम रूहें हैं, वह हो गई जिस्म की बात। एक जिस्म
छोड़ फिर दूसरे बाप के पास जाते हैं। तुमने 84 विलादतों में 84 जिस्मानी बाप
किये हैं। वास्तव में असुल हो ग़ैर मुजस्सम बाप के बच्चे। तुम रूह पाक
परवरदिगार के बच्चे हो। रहने वाले भी वहाँ के हो जिसको दारूल निजात और दारूल
सुकून कहते हैं। असुल तुम वहाँ के रहने वाले हो। रब भी वहाँ रहते हैं। यहाँ आकर
तुम जिस्मानी बाप के बच्चे बनते हो तो फिर उस बाप को भूल जाते हो। सुनहरे दौर
में भी तुम खुशहाल बन जाते हो तो उस पाक परवरदिगार बाप को भूल जाते हो। ख़ुशी
में उस बाप को कोई याद नहीं करते हैं। दु:ख में याद करते हैं। और याद भी रूह
करती है। जब जिस्मानी बाप को याद करते हैं तो अक्ल जिस्म तरफ़ रहती है। यह बाबा
उनको याद करेंगे तो कहेंगे ओ बाबा। हैं दोनों बाबा। राइट अल्फ़ाज़ बाबा ही है।
यह भी फादर, वह भी फादर। रूह उस रूहानी बाप को याद करती है तो अक्ल वहाँ जाती
है। यह रब बैठ बच्चों को समझाते हैं। अभी तुम यह जानते हो रब्बा आया हुआ है,
हमको अपना बनाया है। रब फ़रमाते हैं पहले-पहले हमने तुमको जन्नत में भेजा। तुम
बहुत-बहुत दौलत मन्द थे फिर 84 विलादत ले ड्रामा प्लैन के मुताबिक अभी तुम दु:खी
हुए हो। अब ड्रामा के मुताबिक़ पुरानी दुनिया ख़त्म होनी है। तुम्हारी रूह और
जिस्म रूपी लिबास सातो फ़ज़ीलतों से लबरेज़ थे फिर गोल्डन एज से सिलवर एज में
रूह आई तो जिस्म भी सिलवर एज में आया फिर कॉपर एज में आया। अभी तो तुम्हारी रूह
बिल्कुल ही नापाक हो गई है तो जिस्म भी नापाक है। जैसे 14 कैरेट का सोना कोई
पसन्द नहीं करते हैं। काला पड़ जाता है। तुम भी अभी काले आइरन एजेड बन गये हो।
अब रूह और जिस्म जो ऐसे काले बन गये हैं तो फिर प्योर कैसे बनें। रूह प्योर बने
तो जिस्म भी प्योर मिले। वह कैसे होगा? क्या गंगा में नहाने से? नहीं। पुकारते
ही हैं - ए नापाक से पाक बनाने वाले आओ... यह रूह कहती है।अक्ल रूहानी रब तरफ़
चली जाती है - ए रब्बा। देखो बाबा अल्फ़ाज़ ही कितना मीठा है। हिन्दुस्तान में
ही बाबा-बाबा कहते हैं। अभी तुम रूहानी हवासी बन बाबा के बने हो। रब फ़रमाते
हैं मैंने तुमको जन्नत में भेजा था। नया जिस्म इख्तियार किया था। अब तुम क्या
बन गये हो। यह बातें हमेशा अन्दर रहनी चाहिए। रब्बा को ही याद करना चाहिए। याद
भी करते हैं ना - ए रब्बा हम रूहें नापाक बन गई हैं। अब आप आकर पाकीज़ा बनाओ।
ड्रामा में भी यह पार्ट है तब तो बुलाते हैं। ड्रामा प्लैन के मुताबिक आयेंगे
भी तब जब पुरानी दुनिया से नई बननी है तो ज़रूर मिलन पर ही आयेंगे।
तुम बच्चों को यक़ीन है
बील्वेड मोस्ट रब्बा है। फ़रमाते भी हैं स्वीट, स्वीटर, स्वीटेस्ट। अब स्वीट
कौन है? जिस्मानी रिश्ते में पहले है फादर, जो विलादत देते हैं। फिर उस्ताद। वह
अच्छा होता है। उससे पढ़कर मर्तबा पाते हो। नॉलेज इज़ सोर्स ऑफ इनकम कहा जाता
है। इल्म है नॉलेज। राब्ता है याद। तो बेहद का रब जिसने तुमको जन्नत का मालिक
बनाया था, उनको तुम अभी भूल गये हो। रहमतुल्आल्मीन कैसे आया किसको मालूम नहीं।
तस्वीरों में भी क्लीयर दिखाया है। जिब्राइल अलैहिस्सलाम के ज़रिए क़याम
रहमतुल्आल्मीन कराते हैं। आदम अलैहिस्सलाम कैसे हक़ीक़ी इबादत सिखायेगा? हक़ीक़ी
इबादत सिखलाते ही हैं सुनहरे दौर के लिए। तो ज़रूर मिलन पर रब ने ही सिखायी होगी।
सुनहरे दौर का क़याम करने वाला है रब्बा। रहमतुल्आल्मीन इन के ज़रिए कराते हैं,
करनकरावनहार है ना। वो लोग तीन मुजस्सम जिब्राइल अलैहिस्सलाम कह देते हैं। आला
ते आला रहमतुल्आल्मीन है ना। यह जिस्मानी है, वह ग़ैर मुजस्सम है। खिल्क़त भी
यहाँ ही है। इस खिल्क़त का ही चक्कर है जो फिरता रहता है, रिपीट होता रहता है।
मल्क़ूतवतन की खिल्क़त का चक्कर नहीं गाया जाता है। वर्ल्ड की हिस्ट्री-जॉग्राफी
इन्सानों की रिपीट होती है। मलक़ूतवतन में कोई चक्कर वगैरह नहीं होता। गाते भी
हैं वर्ल्ड की हिस्ट्री-जॉग्राफी रिपीट। वह यहाँ की बात है। आला जन्नत-अदना
जन्नत..... दरम्यान में ज़रूर मिलन का दौर चाहिए। नहीं तो इख्तिलाफ़ी फ़ितने के
दौर को सुनहरे दौर का कौन बनाये। जहन्नुम रिहाईश नशीनियों को जन्नत रिहाईश नशीन
बनाने रब मिलन पर आते हैं। यह तो हाइएस्ट अथॉरिटी गॉड फाॅदरली गवर्नमेन्ट है।
साथ में धर्मराज भी है। रूह कहती है मुझ निर्गुण हारे में कोई गुण नाही यानि कि
मुझ बेफ़ाजिल में कोई फ़ज़ीलत नहीं। कोई भी हूरैन के मन्दिर में जायेंगे तो उनके
आगे ऐसे कहेंगे। कहना चाहिए रब को। उनको छोड़ ब्रदर्स (हूरैनों) को आकर लगे
हैं। यह हूरैन ब्रदर्स ठहरे ना। ब्रदर्स से तो कुछ भी मिलना नहीं है। भाइयों की
बुतपरस्ती करते-करते नीचे गिरते आये हैं। अब तुम बच्चे जानते हो रब्बा आया हुआ
है, उनसे हमको वर्सा मिलता है। रब को ही नहीं जानते, सब तरफ़ मौजूद कह देते
हैं। कोई फिर कहते अखण्ड ज्योति तत्व यानि कि मुसलसल नूर अनासर है। कोई कहते वह
नाम-रूप से न्यारा है। जब मुसलसल नूर याफ़्ता है तो फिर नाम-रूप से न्यारा कैसे
कहते हो। रब को न जानने के सबब ही नापाक बन पड़े हैं। बुरी खस्लतों से आरास्ता
भी बनना ही है। फिर जब रब आते हैं तब आकर तमाम को सातों फ़ज़ीलतों से लबरेज़
बनाते हैं। रूहें ग़ैर मुजस्सम दुनिया में तमाम रब के साथ रहती हैं फिर यहाँ
सतो-रजो-तमो में आकर पार्ट बजाती हैं।रूह ही रब को याद करती है। रब आते भी हैं,
कहते भी हैं जिब्राइल अलैहिस्सलाम के जिस्म की बुनियाद लेता हूँ। यह है क़िस्मत
नशीन गाड़ी। बिग़र रूह जिस्म थोड़े ही होता है। अभी तुम बच्चों को समझाया है,
यह है इल्म की बरसात। नॉलेज है, इससे क्या होता है? नापाक दुनिया से पाक दुनिया
बनती है। गंगा-जमुना तो सुनहरे दौर में भी होती हैं। कहते हैं आदम अलैहिस्सलाम
जमुना के कण्ठे पर खेलपाल करते हैं। ऐसी कोई बातें हैं नहीं। वह तो सुनहरे दौर
का प्रिन्स है। निहायत अच्छी तरह उनको सम्भाला जाता है क्योंकि फूल है ना। फूल
कितने अच्छे खुबसूरत होते हैं। फूल से तमाम आकर खुशबू लेते हैं। कांटों की थोड़े
ही खुशबू लेंगे। अभी तो यह है कांटों की दुनिया। कांटों के जंगल को रब आकर
गार्डन ऑफ फ्लावर बनाते हैं इसलिए उनका नाम बबुलनाथ भी रख दिया है। कांटों को
बैठ फूल बनाते हैं इसलिए अज़मत गाते हैं - कांटों को फूल बनाने वाले रब्बा। अब
तुम बच्चों का रब के साथ कितना लव होना चाहिए। वो जिस्मानी बाप तो तुमको गटर
में डालते हैं। यह बाप 21 विलादतों के लिए तुमको गटर से निकाल पाकीज़ा बनाते
हैं। वह तुमको नापाक बनाते हैं तब तो जिस्मानी बाप होते भी रूहानी बाप को रूह
याद करती है।
अभी तुम जानते हो आधा
चक्कर रब को याद किया है। रब आते भी ज़रूर हैं। शब ए बारात मनाते हैं ना। तुम
जानते हो हम बेहद के रब के बने हैं। अभी हमारा रिश्ता उनसे भी है तो जिस्मानी
से भी है। रूहानी रब को याद करने से तुम पाकीज़ा बनेंगे। रूह जानती है वह हमारा
जिस्मानी और यह रूहानी बाप है। अकीदतमंदी में भी यह रूह जानती है। तब तो कहते
हैं - या अल्ल्लाह ओ गॉड फादर। ला फ़ानी फादर को याद करते हैं। वह बाप आकर
हेविन क़ायम करते हैं। यह किसको मालूम नहीं हैं। सहीफों में तो दौर को भी
निहायत लम्बी-चौड़ी उम्र दे दी है। यह किसके ख्याल में नहीं आता कि रब आते ही
हैं नापाक को पाकीज़ा बनाने। तो ज़रूर मिलन पर आयेंगे। चक्कर की उम्र लाखों साल
लिख इन्सानों को बिल्कुल घोर अन्धियारे में डाल दिया है। धक्के खाते रहते हैं,
रब को पाने के लिए। कहते हैं जो निहायत अकीदत करते हैं तो अल्ल्लाह् ताला मिलता
है। सबसे जास्ती अकीदत मन्दी करने वाले को ज़रूर पहले मिलना चाहिए। रब ने हिसाब
भी बताया है, सबसे पहले अकीदत मन्दी तुम करते हो। तो तुमको ही पहले-पहले
अल्ल्लाह् ताला के ज़रिए इल्म मिलना चाहिए जो फिर तुम ही नई दुनिया में सल्तनत
करो। बेहद का रब तुम बच्चों को इल्म दे रहे हैं, इसमें तकलीफ़ की कोई बात नहीं
है। रब फ़रमाते हैं तुमने आधा चक्कर याद किया है। ख़ुशी में तो कोई याद करते ही
नहीं। आख़िर में जब दु:खी हो जाते हैं तब हम आकर ख़ुशहाल बनाते हैं। अभी तुम
निहायत बड़े आदमी बनते हो। देखो चीफ़ मिनिस्टर, प्राइम मिनिस्टर वगैरह के बंगले
कितने फर्स्टक्लास होते हैं। वहाँ फिर गायें वगैरह तमाम फर्नीचर ऐसा
फर्स्टक्लास होगा। तुम तो कितने बड़े आदमी (हूरैन) बनते हो। हूरैन फ़ज़ीलत वाले
हूरैन जन्नत के मालिक बनते हो। वहाँ तुम्हारे लिए महल भी हीरे-जवाहरातों के होते
हैं। वहाँ तुम्हारा फर्नीचर सोने के जड़ित का फर्स्टक्लास होगा। यहाँ तो झूले
वगैरह तमाम बेगरी हैं। वहाँ तो फर्स्टक्लास हीरे-जवाहरातों की सब चीज़ें होंगी।
यह है इलाही इल्म यज्ञ। रहमतुल्आल्मीन को रूद्र भी कहते हैं। जब अकीदत मन्दी
पूरी होती है तो फिर अल्ल्लाह् ताला रुद्र यज्ञ तामीर करते हैं। सुनहरे दौर में
यज्ञ या अकीदत मन्दी की बात ही नहीं। इस वक़्त ही रब यह ला फ़ानी इलाही इल्म
यज्ञ तामीर करते हैं, जिसका फिर बाद में गायन चलता है। अकीदत मन्दी हमेशा तो नहीं
चलती रहेगी। अकीदत मन्दी और इल्म। अकीदत मन्दी है रात,इल्म है दिन। रब आकर दिन
बनाते हैं तो बच्चों का रब के साथ कितना लव होना चाहिए। रब्बा हमको दुनिया का
मालिक बनाते हैं। मोस्ट बील्वेड रब्बा है। उनसे ज़्यादा प्यारी चीज़ कोई हो न
सके। आधा चक्कर से याद करते आये हो। रब्बा आकर हमारे दु:ख हरो। अब रब आये हैं।
समझाते हैं तुमको अपने घरेलू राब्ते में तो रहना ही है। यहाँ रब्बा पास कहाँ तक
बैठेंगे। रब के साथ तो आलम ए अरवाह में ही रह सकते। यहाँ इतने तमाम बच्चे तो नहीं
रह सकते। उस्ताद सवाल कैसे पूछेंगे। लाउडस्पीकर पर रेसपान्ड कैसे दे सकेंगे
इसलिए थोड़े-थोड़े स्टूडेन्ट्स को पढ़ाते हैं। कॉलेज तो निहायत होते हैं फिर
सबके इम्तहान होते हैं। लिस्ट निकलती है। यहाँ तो एक ही रब पढ़ाते हैं। यह भी
समझाना चाहिए दु:ख में याद तमाम उस रूहानी रब का करते हैं। अब यह रब आया हुआ
है। अज़ीम भारी क़यामत जंग भी सामने खड़ी है। वह समझते हैं क़यामत जंग में आदम
अलैहिस्सलाम आया। यह तो हो न सके। बिचारे मूँझे हुए हैं ना। फिर भी आदम
अलैहिस्सलाम-आदम अलैहिस्सलाम याद करते रहते हैं। अब मोस्ट बील्वेड
रहमतुल्आल्मीन भी है तो आदम अलैहिस्सलाम भी है। मगर वह है ग़ैर मुजस्सम, वह है
जिस्मानी। ग़ैर मुजस्सम रब तमाम रूहों का रब है। हैं दोनों मोस्ट बील्वेड। आदम
अलैहिस्सलाम भी दुनिया का मालिक है ना। अभी तुम जज कर सकते हो - जास्ती प्यारा
कौन? रहमतुल्आल्मीन ही तो ऐसा लायक़ बनाते हैं ना। आदम अलैहिस्सलाम क्या करते
हैं? रब ही तो उनको ऐसा बनाते हैं, तो गायन भी जास्ती उस रब का होना चाहिए।
शंकर का डांस दिखाते हैं। असल में डांस वगैरह की तो बात नहीं। रब ने समझाया है
तुम तमाम पार्वतियां हो। यह शिव अमरनाथ तुमको कथा सुना रहे हैं। वह है वाइसलेस
वर्ल्ड। ख़बासत की बात नहीं। रब ख़बासती दुनिया थोड़े ही तामीर करेंगे। ख़बासत
में ही दु:ख है। इन्सान हठयोग वगैरह निहायत सीखते हैं। गुफाओं में जाकर बैठते
हैं, आग से भी चले जाते हैं। रिद्धि-सिद्धि भी निहायत है। जादूगरी से निहायत
चीज़ों को निकालते हैं। अल्ल्लाह् ताला को भी जादूगर, रत्नागर, सौदागर कहते हैं
तो ज़रूर ज़िन्दा है ना। कहते भी हैं मैं आता हूँ, जादूगर है ना। इन्सान को
हूरैन, बेगर से प्रिन्स बनाते हैं। ऐसा जादू कभी देखा। अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों
के वास्ते मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी रब की रूहानी
बच्चों को सलाम।
तरीक़त के वास्ते अहम
निकात:-
1) फूलों के बग़ीचे में चलना है इसलिए खुशबूदार फूल बनना है। किसी को भी दु:ख
नहीं देना है। एक रूहानी रब से तमाम रिश्ते जोड़ने हैं।
2) रहमतुल्आल्मीन प्यारे से प्यारा है उस एक को ही प्यार करना है। ख़ुशी देने
वाले रब को याद करना है।
बरक़ात:-
इस आलम के
लगाव से आज़ाद बन ग़ैबी वतन की सैर करने वाले उड़ता पंछी बनो
अक्ल रूपी एरोप्लेन से
ग़ैबी वतन और बुनियादी वतन की सैर करने के लिए उड़ता पंछी बनो। अक्ल के ज़रिए
जब चाहो, जहाँ चाहो पहुंच जाओ। यह तब होगा जब बिल्कुल इस आलम के लगाव से बालातर
रहेंगे। यह असार जहान है, इस असार जहान से जब कोई काम नहीं, कोई दस्तयाबी नहीं
तो अक्ल के ज़रिए भी जाना बन्द करो। यह खौफनाक जहन्नुम है इसमें जाने का इरादा
और सपने भी न आये।
स्लोगन:-
अपने चेहरे और चलन
से हक़ की सक़ाफत का एहसास कराना ही अफ़जल नशीनी है।
आमीन