05-10-2025 प्रात:मुरली ओम् शान्ति 03.03.2007 "बापदादा" मधुबन
परमात्म संग में,
ज्ञान का गुलाल, गुण और शक्तियों का रंग लगाना ही सच्ची होली मनाना है
आज बापदादा अपने
लकीएस्ट और होलीएस्ट बच्चों से होली मनाने आये हैं। दुनिया वाले तो कोई भी उत्सव
सिर्फ मनाते हैं लेकिन आप बच्चे सिर्फ मनाते नहीं, मनाना अर्थात् बनना। तो आप होली
अर्थात् पवित्र आत्मायें बन गये। आप सभी कौन सी आत्मायें हो? होली अर्थात् महान
पवित्र आत्मायें। दुनिया वाले तो शरीर को स्थूल रंग से रंगते हैं लेकिन आप आत्माओं
ने आत्मा को कौन से रंग में रंगा है? सबसे अच्छे ते अच्छा रंग कौनसा है? अविनाशी
रंग कौनसा है? आप जानते हो, आप सबने परमात्म संग का रंग आत्मा को लगाया जिससे आत्मा
पवित्रता के रंग में रंग गई। यह परमात्म संग का रंग कितना महान और सहज है इसलिए
परमात्म संग का महत्व अभी अन्त में भी सतसंग का महत्व होता है। सतसंग का अर्थ ही है
परमात्म संग में रहना, जो सबसे सहज और ऊंचे ते ऊंचा है, ऐसे संग में रहना मुश्किल
है क्या? और इस संग के रंग में रहने से जैसे परमात्मा ऊंचे ते ऊंचा है वैसे आप बच्चे
भी ऊंचे ते ऊंचे पवित्र महान आत्मायें पूज्य आत्मायें बन गई। यह अविनाशी संग का रंग
प्यारा लगता है ना! दुनिया वाले कितना प्रयत्न करते हैं परम आत्मा का संग तो छोड़ो
सिर्फ याद करने में भी कितनी मेहनत करते हैं। लेकिन आप आत्माओं ने बाप को जाना, दिल
से कहा “मेरा बाबा''। बाप ने कहा “मेरे बच्चे'' और रंग लग गया। बाप ने कौन सा रंग
लगाया? ज्ञान का गुलाल लगाया, गुणों का रंग लगाया, शक्तियों का रंग लगाया, जिस रंग
से आप तो देवता बन गये लेकिन अब कलियुग अन्त तक भी आपके पवित्र चित्र देव आत्माओं
के रूप में पूजे जाते हैं। पवित्र आत्मायें बहुत बनते हैं, महान आत्मायें बहुत बनते
हैं, धर्म आत्मायें बहुत बनते हैं लेकिन आपकी पवित्रता, देव आत्माओं के रूप में
आत्मा भी पवित्र बनती और आत्मा के साथ शरीर भी पवित्र बनता है। इतनी श्रेष्ठ
पवित्रता बनी कैसे? सिर्फ संग के रंग से। आप सभी फलक से कहते हो, अगर कोई आप बच्चों
से पूछे, परमात्मा कहाँ रहता है? परमधाम में तो है ही लेकिन अभी संगम में परमात्मा
आपके साथ कहाँ रहता है? आप क्या जवाब देंगे? परमात्मा को अभी हम पवित्र आत्माओं का
दिलतख्त ही अच्छा लगता है। ऐसे है ना? आपके दिल में बाप रहता, आप बाप के दिल में
रहते। जो रहता है वह हाथ उठाओ। रहते हैं? (सभी ने हाथ उठाया) अच्छा। बहुत अच्छा।
फ़लक से कहते हो परमात्मा को मेरे दिल के सिवाए और कहाँ अच्छा नहीं लगता है क्योंकि
कम्बाइण्ड रहते हो ना! कम्बाइण्ड रहते हो? कई बच्चे कम्बाइण्ड कहते हुए भी सदा बाप
की कम्पनी का लाभ नहीं लेते हैं। कम्पैनियन तो बना लिया है, पक्का है। मेरा बाबा कहा
तो कम्पैनियन तो बना लिया लेकिन हर समय कम्पनी का अनुभव करना, इसमें अन्तर पड़ जाता
है। इसमें बापदादा देखते हैं नम्बरवार फायदा उठाते हैं। कारण क्या होता? आप सभी
अच्छी तरह से जानते हो।
बापदादा ने पहले भी सुनाया है अगर दिल में रावण की कोई पुरानी जायदाद, पुराने
संस्कार के रूप में रह गई है तो रावण की चीज़ पराई चीज़ हो गई ना! पराई चीज़ को कभी
भी अपने पास रखा नहीं जाता है। निकाल दिया जाता है। लेकिन बापदादा ने देखा है,
रूहरिहान में सुनते भी हैं कि बच्चे क्या कहते, बाबा मैं क्या करूं, मेरे संस्कार
ही ऐसे हैं। क्या यह आपके हैं, जो कहते हो मेरे संस्कार? यह कहना राइट है कि मेरे
पुराने संस्कार हैं, मेरी नेचर है, राइट है? राइट है? जो समझते हैं राइट है वह हाथ
उठाओ। कोई नहीं उठाता। तो कहते क्यों हो? गलती से कह देते हो? जब मरजीवा बन गये,
आपका अभी सरनेम क्या है? पुराने जन्म का सरनेम है वा बी.के. का सरनेम है? अपना
सरनेम क्या लिखते हो? बी.के. या फलाना, फलाना...? जब मरजीवा बन गये तो पुराने
संस्कार मेरे संस्कार कैसे हुए? यह पुराने तो पराये संस्कार हुए। मेरे तो नहीं हुए
ना! तो इस होली में कुछ तो जलायेंगे ना! होली जलाते भी हैं और रंग भी लगाते हैं, तो
आप सभी इस होली पर क्या जलायेंगे? मेरे संस्कार, यह अपने ब्राह्मण जीवन की डिक्शनरी
से समाप्त करना। जीवन भी एक डिक्शनरी है ना! तो अभी कभी स्वप्न में भी यह नहीं सोचना,
संकल्प की तो बात ही छोड़ो लेकिन पुराने संस्कार को मेरे संस्कार मानना, यह स्वप्न
में भी नहीं सोचना। अब तो जो बाप के संस्कार वह आपके संस्कार, सभी कहते हो ना हमारा
लक्ष्य है बाप समान बनना। तो सभी ने अपने दिल में दृढ़ संकल्प की यह प्रतिज्ञा अपने
से की? गलती से भी मेरा नहीं कहना। मेरा-मेरा कहते हो ना, तो जो पुराने संस्कार हैं
वह फायदा उठाते हैं। जब मेरा कहते हो तो वह बैठ जाते हैं, निकलते नहीं हैं।
बापदादा सभी बच्चों को किस रूप में देखना चाहते हैं? जानते तो हो, मानते भी हो।
बापदादा हर एक बच्चे को भ्रकुटी के तख्तनशीन, स्वराज्य अधिकारी राजा बच्चा, अधीन
बच्चा नहीं, राजा बच्चा, कन्ट्रोलिंग पावर, रूलिंग पावर, मास्टर सर्वशक्तिवान
स्वरूप में देख रहे हैं। आप अपना कौन सा रूप देखते? यही ना, राज्य अधिकारी हो ना!
अधीन तो नहीं हैं ना? अधीन आत्माओं को आप सभी अधिकारी बनाने वाले हो। आत्माओं के
ऊपर रहमदिल बन अधीन से उन्हों को भी अधिकारी बनाने वाले हो। तो आप सभी होली मनाने
आये हो ना?
बापदादा को भी खुशी है कि सभी स्नेह के विमान द्वारा पहुंच गये, सभी के पास विमान
है ना! बापदादा ने हर ब्राह्मण को जन्मते ही मन के विमान की गिफ्ट दी। तो सभी के
पास मन का विमान है? विमान में पेट्रोल ठीक है? पंख ठीक हैं? स्टार्ट करने का आधार
ठीक है? चेक करते हो? ऐसा विमान जो तीनों लोकों में सेकण्ड में जा सकता है। अगर
हिम्मत और उमंग-उत्साह के दोनों पंख यथार्थ हैं तो एक सेकण्ड में स्टार्ट हो सकता
है। स्टार्ट करने की चाबी क्या है? मेरा बाबा। मेरा बाबा कहो तो मन जहाँ पहुंचना
चाहे वहाँ पहुंच सकता है। दोनों पंख ठीक होने चाहिए। हिम्मत कभी नहीं छोड़नी है।
क्यों? बापदादा का वायदा है, वरदान है, आपके हिम्मत का एक कदम और हजार कदम मदद बाप
की। चाहे कैसा भी कड़ा संस्कार हो, हिम्मत कभी नहीं हारो। कारण? सर्वशक्तिवान बाप
मददगार है और कम्बाइण्ड है, सदा हाज़िर है। आप हिम्मत से सर्वशक्तिवान कम्बाइण्ड
बाप के ऊपर अधिकार रखो और दृढ़ रहो, होना ही है, बाप मेरा, मैं बाप की हूँ, यह
हिम्मत नहीं भूलो। तो क्या होगा? जो कैसे करूं, यह संकल्प उठता है वह कैसे शब्द बदल
ऐसे हो जायेगा। कैसे करूं, क्या करूं, नहीं। ऐसे हुआ ही पड़ा है। सोचते हो, करते तो
हैं, होगा, होना तो चाहिए, बाप मदद तो देगा...। हुआ ही पड़ा है, बाप बंधा हुआ है,
दृढ़ निश्चयबुद्धि वाले को मदद देने के लिए। सिर्फ रूप थोड़ा चेंज कर देते हो, बाप
के ऊपर हक रखते हो लेकिन रूप चेंज कर देते हो। बाबा आप तो मदद करेंगे ना! आप तो बंधे
हुए हो ना! तो ना लगा देते हो। निश्चयबुद्धि, निश्चित विजय हुई पड़ी है क्योंकि
बापदादा ने हर बच्चे को जन्मते ही विजय का तिलक मस्तक में लगाया है। दृढ़ता को अपने
तीव्र पुरुषार्थ की चाबी बनाओ। प्लैन बहुत अच्छे बनाते हो। बापदादा जब रूहरिहान
सुनते हैं, रूहरिहान बहुत हिम्मत की करते हो, प्लैन भी बड़े पावरफुल बनाते हो लेकिन
प्लैन को जब प्रैक्टिकल में करते हो तो प्लेन बुद्धि होके नहीं करते हो। उसमें थोड़ा
सा करते तो हैं, होना तो चाहिए... यह स्वयं में निश्चय के साथ संकल्प नहीं, लेकिन
वेस्ट संकल्प मिक्स कर देते हो।
अभी समय के प्रमाण प्लेन बुद्धि बन संकल्प को साकार रूप में लाओ। ज़रा भी कमजोर
संकल्प इमर्ज नहीं करो। स्मृति रखो कि अभी एक बार नहीं कर रहे हैं, अनेक बार किया
हुआ सिर्फ रिपीट कर रहे हैं। याद करो कितनी बार कल्प-कल्प विजयी बने हैं! अनेक बार
के विजयी हैं, विजय अनेक कल्प का जन्म सिद्ध अधिकार है। इस अधिकार से निश्चयबुद्धि
बन दृढ़ता की चाबी लगाओ, विजय आप ब्राह्मण आत्माओं के बिना कहाँ जायेगी! विजय आप
ब्राह्मणों का जन्म सिद्ध अधिकार है, गले की माला है। नशा है ना? होगा, नहीं होगा,
नहीं। हुआ ही पड़ा है। इतने निश्चयबुद्धि बन हर कार्य करो, विजय निश्चित है ही। ऐसे
निश्चयबुद्धि आत्मायें, यही नशा रखो कि विजय है ही, है या नहीं, है ही। यही नशा रखो।
थे, हैं और होंगे। तो ऐसे होली हो ना! होलीएस्ट तो हो ही। तो ज्ञान के गुलाल की होली
बापदादा से खेल ली, अभी और क्या खेलेंगे?
बापदादा ने देखा कि सभी को मैजॉरिटी उमंग-उत्साह बहुत अच्छा आता है, यह कर लेंगे,
यह कर लेंगे, यह हो जायेगा। बापदादा भी बड़े खुश होते हैं लेकिन यह उमंग-उत्साह सदा
इमर्ज रहे, कभी-कभी मर्ज हो जाता है, कभी इमर्ज हो जाता है। मर्ज नहीं हो जाए,
इमर्ज ही रहे क्योंकि पूरा संगमयुग ही आपका उत्सव है। वो तो कभी-कभी उत्सव इसीलिए
मनाते हैं, क्योंकि बहुत समय टेन्शन में रहते हैं ना, तो समझते हैं उत्साह में नाचें,
गायें, खायें, तो चेंज हो जाए। लेकिन आप लोगों के पास तो हर सेकेण्ड नाचना और गाना
है ही। आप सदा मन में खुशी से नाचते रहते हो ना! कि नहीं! नाचते हैं, नाचना आता है
खुशी में? नाचना आता है? जिसको आता है वह हाथ उठाओ। नाचना आता है, अच्छा। आता है तो
मुबारक हो। तो सदा नाचते रहते हो या कभी कभी?
बापदादा ने इस वर्ष का होमवर्क दिया था, दो शब्द कभी नहीं सोचना, समटाइम, समथिंग।
वह किया है? कि अभी भी सम-टाइम है? समटाइम, समथिंग खत्म। इस नाचने में थकने की तो
कोई बात ही नहीं है। चाहे लेटे रहो, चाहे काम करो, चाहे पैदल करो, चाहे बैठो, खुशी
का डांस तो कर ही सकते हो और बाप के प्राप्तियों का गीत भी गा सकते हो। गीत भी आता
है ना, यह गीत तो सभी को आता है। मुख का गीत तो किसको आता है किसको नहीं आता है
लेकिन बाप के प्राप्तियों का, बाप के गुणों का गीत वह तो सबको आता है ना। तो बस हर
दिन उत्सव है, हर घड़ी उत्सव है, और सदा नाचो और गाओ और काम तो दिया ही नहीं है। यही
दो काम हैं ना - नाचो और गाओ। तो इन्ज्वाय करो। बोझ क्यों उठाते? इन्ज्वाय करो, नाचो
गाओ बस। अच्छा। होली तो मना ली ना! अभी रंग की होली भी मनायेंगे? अच्छा आपको ही तो
भक्त कॉपी करेंगे ना! आप भगवान के साथ होली खेलते हो तो भक्त भी होली कोई न कोई आप
देवताओं के साथ खेलते रहते हैं। अच्छा।
आज कई बच्चों के ईमेल भी आये हैं, पत्र भी आये हैं, फोन भी आये हैं, जो भी साधन हैं
उससे होली की मुबारक भेजी है। बापदादा के पास तो जब संकल्प करते हैं ना तभी पहुंच
जाता है। लेकिन चारों ओर के बच्चे विशेष याद करते हैं और किया है, बापदादा भी हर
बच्चे को पदम पदम दुआयें और पदमगुणा दिल की यादप्यार रिटर्न में हर एक को नाम सहित
विशेषता सहित दे रहे हैं। जब सन्देशी जाती है ना तो हर एक अपने-अपने तरफ की यादें
देते हैं। जिन्होंने नहीं भी दी हो ना, बापदादा के पास पहुंच गई हैं। यही तो
परमात्म प्यार की विशेषता है। यह एक-एक दिन कितना प्यारा है। चाहे गांव में हैं,
चाहे बहुत बड़े-बड़े शहरों में हैं, गांव वालों की भी याद साधन न होते हुए भी बाप
के पास पहुंच जाती है क्योंकि बाप के पास स्प्रीचुअल साधन तो बहुत हैं ना! अच्छा।
आजकल के जमाने में डॉक्टर्स कहते हैं दवाई छोड़ो, एक्सरसाइज़ करो, तो बापदादा भी
कहते हैं कि युद्ध करना छोड़ो, मेहनत करना छोड़ो, सारे दिन में 5-5 मिनट मन की
एक्सरसाइज करो। वन मिनट में निराकारी, वन मिनट में आकारी, वन मिनट में सब तरह के
सेवाधारी, यह मन की एक्सरसाइज़ 5 मिनट की सारे दिन में भिन्न-भिन्न टाइम करो। तो सदा
तन्दरूस्त रहेंगे, मेहनत से बच जायेंगे। हो सकता है ना! मधुबन वाले हो सकता है?
मधुबन है फाउण्डेशन, मधुबन का वायब्रेशन चारों ओर न चाहते भी पहुंच जाता है। मधुबन
में कोई भी बात होती है ना, तो सारे भारत में, जगह-जगह में दूसरे दिन पहुंच जाती
है। मधुबन में ऐसे कोई साधन लगे हुए हैं, कोई बात नहीं छिपती, अच्छी भी तो
पुरुषार्थ की भी। तो मधुबन जो करेगा वह वायब्रेशन स्वत: और सहज फैलेगा। पहले मधुबन
निवासी वेस्ट थॉटस का स्टॉप करें, हो सकता है? हो सकता है? यह आगे-आगे बैठेहैं ना!
मधुबन निवासी हाथ उठाओ। तो मधुबन निवासी आपस में कोई ऐसा प्लैन बनाओ वेस्ट खत्म।
बापदादा यह नहीं कहते हैं कि संकल्प ही बन्द करो। वेस्ट संकल्प फिनिश। फायदा तो है
नहीं। परेशानी ही है। हो सकता है? जो मधुबन निवासी समझते हैं आपस में मीटिंग करके
यह करेंगे, वह हाथ उठाओ। करेंगे, करना है तो लम्बा हाथ उठाओ। दो-दो हाथ उठाओ।
मुबारक हो। बापदादा दिल से दुआयें दे रहे हैं। मुबारक देते हैं। हिम्मत है मधुबन
वालों में, जो चाहे वह कर सकते हैं। करा भी सकते हैं। मधुबन की बहनें भी हैं, बहनें
हाथ उठाओ। बड़ा हाथ उठाओ। मीटिंग करना। दादियां आप मीटिंग कराना। देखो हाथ सभी उठा
रहे हैं। अभी हाथ की लाज रखना। अच्छा।
ब्रह्मा बाप ने लास्ट में जो वरदान दिया - निराकारी, निर्विकारी, निरंहकारी, यह
ब्रह्मा बाप का लास्ट वरदान, एक बहुत बड़ी सौगात बच्चों के प्रति रही। तो क्या
अभी-अभी सेकण्ड में ब्रह्मा बाप की सौगात मन से स्वीकार कर सकते हो? दृढ़ संकल्प कर
सकते हो कि बाप की सौगात को सदा प्रैक्टिकल लाइफ में लाना है? क्योंकि आदि देव की
सौगात कम नहीं है। ब्रह्मा ग्रेट ग्रेट ग्रैण्ड फादर है, उसकी सौगात कम नहीं है। तो
अपने-अपने पुरुषार्थ प्रमाण संकल्प करो कि आज के दिन होली अर्थात् जो बीत चुकी, हो
ली, हो गई। लेकिन अब से सौगात को बार-बार इमर्ज कर ब्रह्मा बाप को सेवा का रिटर्न
देंगे। देखो ब्रह्मा बाप ने अन्तिम दिन, अन्तिम समय तक सेवा की। यह ब्रह्मा बाप का
बच्चों से प्यार, सेवा से प्यार की निशानी है तो ब्रह्मा बाप को रिटर्न देना अर्थात्
बार-बार जीवन में दी हुई सौगात को रिवाइज कर प्रैक्टिकल में लाना। तो सभी अपने दिल
में ब्रह्मा बाप से स्नेह के रिटर्न में संकल्प दृढ़ करो, यह है ब्रह्मा बाप के
स्नेह की सौगात का रिटर्न। अच्छा।
चारों ओर के लकीएस्ट, होलीएस्ट बच्चों को सदा दृढ़ संकल्प की चाबी प्रैक्टिकल में
लाने वाले हिम्मत वाले बच्चों को, सदा अपने मन को भिन्न-भिन्न प्रकार की सेवा में
बिजी रखने वाले, कदम में पदमों की कमाई जमा करने वाले बच्चों को, सदा हर दिन उत्साह
में रहने वाले, हर दिन को उत्सव समझ मनाने वाले, सदा खुशनसीब बच्चों को बापदादा का
यादप्यार और नमस्ते।
वरदान:-
लव और लवलीन
स्थिति के अनुभव द्वारा सब कुछ भूलने वाले सदा देही अभिमानी भव
कर्म में, वाणी में,
सम्पर्क में व सम्बन्ध में लव और स्मृति व स्थिति में लवलीन रहो तो सब कुछ भूलकर
देही-अभिमानी बन जायेंगे। लव ही बाप के समीप सम्बन्ध में लाता है, सर्वस्व त्यागी
बनाता है। इस लव की विशेषता से वा लवलीन स्थिति में रहने से ही सर्व आत्माओं के
भाग्य व लक्क को जगा सकते हो। यह लव ही लक्क के लॉक की चाबी है। यह मास्टर-की है।
इससे कैसी भी दुर्भाग्यशाली आत्मा को भाग्यशाली बना सकते हो।
स्लोगन:-
स्वयं के परिवर्तन की घड़ी निश्चित करो तो विश्व परिवर्तन स्वत:हो जायेगा।
अव्यक्तइशारे- स्वयं
और सर्व के प्रति मन्सा द्वारा योग की शक्तियों का प्रयोग करो
मन्सा शक्ति का दर्पण
है - बोल और कर्म। चाहे अज्ञानी आत्मायें, चाहे ज्ञानी आत्मायें - दोनों के
सम्बन्ध-सम्पर्क में बोल और कर्म शुभ-भावना, शुभ-कामना वाले हों। जिसकी मन्सा
शक्तिशाली वा शुभ होगी उसकी वाचा और कर्मणा स्वत: ही शक्तिशाली शुद्ध होगी,
शुभ-भावना वाली होगी। मन्सा शक्तिशाली अर्थात् याद की शक्ति श्रेष्ठ होगी, शक्तिशाली
होगी, सहज-योगी होंगे।