01-05-2025        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - तुम बेहद के बाप से बेहद का वर्सा लेने आये हो, यहाँ हद की कोई बात नहीं, तुम बड़े उमंग से बाप को याद करो तो पुरानी दुनिया भूल जायेगी''

प्रश्नः-
कौन-सी एक बात तुम्हें बार-बार अपने से घोट कर पक्की करनी चाहिए?

उत्तर:-
हम आत्मा हैं, हम परमात्मा बाप से वर्सा ले रहे हैं। आत्मायें हैं बच्चे, परमात्मा है बाप। अभी बच्चे और बाप का मेला हुआ है। यह बात बार-बार घोट-घोट कर पक्की करो। जितना आत्म-अभिमानी बनते जायेंगे, देह-अभिमान मिट जायेगा।

गीत:-
जो पिया के साथ है.........

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) योगबल की ताकत से अपनी कर्मेन्द्रियों को शीतल बनाना है। वश में रखना है। इविल बातें न तो सुननी है, न सुनानी है। जो बात पसन्द नहीं आती, उसे एक कान से सुन दूसरे से निकाल देना है।

2) बाप से पूरा वर्सा लेने के लिए स्वदर्शन चक्रधारी बनना है, पवित्र बन आप समान बनाने की सेवा करनी है।

वरदान:-
मुरली के साज़ द्वारा माया को सरेन्डर कराने वाले मुरलीधर भव

मुरलियां तो बहुत सुनी हैं अब ऐसे मुरलीधर बनो जो माया मुरली के आगे न्योछावर(सरेन्डर) हो जाए। मुरली के राज़ का साज़ अगर सदैव बजाते रहो तो माया सदा के लिए सरेन्डर हो जायेगी। माया का मुख्य स्वरूप कारण के रूप में आता है। जब मुरली द्वारा कारण का निवारण मिल जायेगा तो माया सदा के लिए समाप्त हो जायेगी। कारण खत्म अर्थात् माया खत्म।

स्लोगन:-
अनुभवी स्वरूप बनो तो चेहरे से खुशनसीबी की झलक दिखाई देगी।

अव्यक्त इशारे - रूहानी रॉयल्टी और प्युरिटी की पर्सनैलिटी धारण करो

संगमयुगी ब्राह्मण जीवन की विशेषता पवित्रता है। प्रवृत्ति में रहते अपवित्रता से निवृत्त रहना, स्वप्न मात्र भी अपवित्रता के संकल्प से मुक्त रहना - यही विश्व को चैलेन्ज करने का साधन है, यही आप ब्राह्मणों की रूहानी रॉयल्टी और पर्सनैलिटी है।