01-07-2025        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - तुम्हारी बुद्धि में अभी सारे ज्ञान का सार है, इसलिए तुम्हें चित्रों की भी दरकार नहीं, तुम बाप को याद करो और दूसरों को कराओ''

प्रश्नः-
पिछाड़ी के समय तुम बच्चों की बुद्धि में कौन-सा ज्ञान रहेगा?

उत्तर:-
उस समय बुद्धि में यही रहेगा कि अभी हम जाते हैं वापिस घर। फिर वहाँ से चक्र में आयेंगे। धीरे-धीरे सीढ़ी उतरेंगे फिर बाप आयेंगे चढ़ती कला में ले जाने। अभी तुम जानते हो पहले हम सूर्यवंशी थे फिर चन्द्रवंशी बनें...... इसमें चित्रों की दरकार नहीं।

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) अपना टाइम सफल करने का अटेन्शन रखना है। माया ग़फलत न करा सके - इसके लिए महादानी बन बहुतों को रास्ता बताने में बिजी रहना है।

2) अपनी ऊंची तकदीर बनाने के लिए धनी के नाम पर सब कुछ सफल करना है। रूहानी युनिवर्सिटी खोलनी है।

वरदान:-
ऊंचे ते ऊंचे बाप को प्रत्यक्ष करने वाले शुभ और श्रेष्ठ कर्मधारी भव

जैसे राइट हैण्ड से सदा शुभ और श्रेष्ठ कर्म करते हैं। ऐसे आप राइट हैण्ड बच्चे सदा शुभ वा श्रेष्ठ कर्मधारी बनो, आपका हर कर्म ऊंचे ते ऊचे बाप को प्रत्यक्ष करने वाला हो। क्योंकि कर्म ही संकल्प वा बोल को प्रत्यक्ष प्रमाण के रूप में स्पष्ट करने वाला होता है। कर्म को सभी देख सकते हैं, कर्म द्वारा अनुभव कर सकते हैं इसलिए चाहे रूहानी दृष्टि द्वारा, चाहे अपने खुशी के, रूहानियत के चेहरे द्वारा बाप को प्रत्यक्ष करो - यह भी कर्म ही है।

स्लोगन:-
रूहानियत का अर्थ है - नयनों में पवित्रता की झलक और मुख पर पवित्रता की मुस्कराहट हो।

अव्यक्त इशारे - संकल्पों की शक्ति जमा कर श्रेष्ठ सेवा के निमित्त बनो

जैसे आजकल सूर्य की शक्ति जमाकर कई कार्य सफल करते हैं। ऐसे आप संकल्प की शक्ति जमा करो तो औरों में भी बल भर सकते हो, अनेक कार्य सफल कर सकते हो। जो हिम्मतहीन हैं उन्हें वाणी के साथ-साथ श्रेष्ठ संकल्प की सूक्ष्म शक्ति से हिम्मतवान बनाना, यही वर्तमान समय की आवश्यकता है।