03-05-2025        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - अपने को राजतिलक देने के लायक बनाओ, जितना पढ़ाई पढ़ेंगे, श्रीमत पर चलेंगे तो राजतिलक मिल जायेगा''

प्रश्नः-
किस स्मृति में रहो तो रावणपने की स्मृति विस्मृत हो जायेगी?

उत्तर:-
सदा स्मृति रहे कि हम स्त्री-पुरुष नहीं, हम आत्मा हैं, हम बड़े बाबा (शिवबाबा) से छोटे बाबा (ब्रह्मा) द्वारा वर्सा ले रहे हैं। यह स्मृति रावणपने की स्मृति को भुला देगी। जबकि स्मृति आई कि हम एक बाप के बच्चे हैं तो रावणपने की स्मृति समाप्त हो जाती है। यह भी पवित्र रहने की बहुत अच्छी युक्ति है। परन्तु इसमें मेहनत चाहिए।

गीत:-
तुम्हें पाके हमने........

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) अपने को राजतिलक देने के लायक बनाना है। सपूत बच्चा बनकर सबूत देना है। चलन बड़ी रॉयल रखनी है। बाप का पूरा-पूरा मददगार बनना है।

2) हम स्टूडेन्ट हैं, भगवान हमें पढ़ा रहे हैं, इस खुशी से पढ़ाई पढ़नी है। कभी भी पुरुषार्थ में दिलशिकस्त नहीं बनना है।

वरदान:-
अपने अधिकार की शक्ति द्वारा त्रिमूर्ति रचना को सहयोगी बनाने वाले मास्टर रचता भव

त्रिमूर्ति शक्तियां (मन, बुद्धि और संस्कार) यह आप मास्टर रचता की रचना हैं। इन्हें अपने अधिकार की शक्ति से सहयोगी बनाओ। जैसे राजा स्वयं कार्य नहीं करता, कराता है, करने वाले राज्य कारोबारी अलग होते हैं। ऐसे आत्मा भी करावनहार है, करनहार ये विशेष त्रिमूर्ति शक्तियां हैं। तो मास्टर रचयिता के वरदान को स्मृति में रख त्रिमूर्ति शक्तियों को और साकार कर्मेन्द्रियों को सही रास्ते पर चलाओ।

स्लोगन:-
अव्यक्त पालना के वरदान का अधिकार लेने के लिए स्पष्टवादी बनो।

अव्यक्त इशारे - रूहानी रॉयल्टी और प्युरिटी की पर्सनैलिटी धारण करो

पवित्रता सिर्फ ब्रह्मचर्य नहीं, वह तो फाउण्डेशन है लेकिन साथ में और चार भी हैं। क्रोध और सभी साथी जो हैं, उन महाभूतों का त्याग, साथ-साथ उनके भी जो बाल बच्चे छोटे-छोटे अंश मात्र, वंश मात्र हैं, उनका भी त्याग करो तब कहेंगे प्योरिटी की रूहानी रॉयल्टी धारण की है।