04-05-2025     प्रात:मुरली  ओम् शान्ति 20.02.2005 "बापदादा"    मधुबन


'दिल से मेरा बाबा कहो और सर्व अविनाशी खजानों के मालिक बन बेफिक्र बादशाह बनो"


वरदान:-
याद और सेवा के बैलेन्स द्वारा चढ़ती कला का अनुभव करने वाले राज्य अधिकारी भव

याद और सेवा का बैलेन्स है तो हर कदम में चढ़ती कला का अनुभव करते रहेंगे। हर संकल्प में सेवा हो तो व्यर्थ से छूट जायेंगे। सेवा जीवन का एक अंग बन जाए, जैसे शरीर में सब अंग जरूरी हैं वैसे ब्राह्मण जीवन का विशेष अंग सेवा है। बहुत सेवा का चांस मिलना, स्थान मिलना, संग मिलना यह भी भाग्य की निशानी है। ऐसे सेवा का गोल्डन चांस लेने वाले ही राज्य अधिकारी बनते हैं।

स्लोगन:-
परमात्म प्यार की पालना का स्वरूप है - सहजयोगी जीवन।

अव्यक्त इशारे - रूहानी रॉयल्टी और प्युरिटी की पर्सनैलिटी धारण करो

पवित्रता आप ब्राह्मणों का सबसे बड़े से बड़ा श्रंगार है, सम्पूर्ण पवित्रता आपके जीवन की सबसे बड़े से बड़ी प्रापर्टी है, रॉयल्टी और पर्सनैलिटी है, इसे धारण कर एवररेडी बनो तो प्रकृति अपना काम शुरू करे। प्युरिटी की पर्सनैलिटी से सम्पन्न रॉयल आत्माओं को सभ्यता की देवी कहा जाता है।