04-10-2025        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


मीठेबच्चे - श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ बनने के लिए स्वयं भगवान तुम्हें श्रेष्ठ मत दे रहे हैं, जिससे तुम नर्कवासी से स्वर्गवासी बन जाते हो।

प्रश्नः-
देवता बनने वाले बच्चों को विशेष किन बातों का ध्यान रखना है?

उत्तर:-
कभी कोई बात में रूठना नहीं, शक्ल मुर्दे जैसी नहीं करनी है। किसी को भी दु:ख नहीं देना है। देवता बनना है तो मुख से सदैव फूल निकलें। अगर कांटे वा पत्थर निकलते हैं तो पत्थर के पत्थर ठहरे। गुण बहुत अच्छे धारण करने हैं। यहाँ ही सर्वगुण सम्पन्न बनना है। सज़ा खायेंगे तो फिर पद अच्छा नहीं मिलेगा।

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) मुख से ज्ञान रत्न निकालने की प्रैक्टिस करनी है। कभी मुख से कांटे वा पत्थर नहीं निकालने हैं। अपना और घर का कल्याण करने के लिए घर में चित्र सजा देने हैं, उस पर विचार सागर मंथन कर दूसरों को समझाना है। बिजी रहना है।

2) बाप से आशीर्वाद मांगने के बजाए उनकी श्रेष्ठ मत पर चलना है। बलिहारी शिवबाबा की है इसलिए उन्हें ही याद करना है। यह अभिमान न आये कि हमने बाबा को इतना दिया।

वरदान:-
बाप समान स्थिति द्वारा समय को समीप लाने वाले तत त्वम् के वरदानी भव

अपनेपन को मिटाना अर्थात् बाप समान स्थिति में स्थित होकर समय को समीप लाना। जहाँ अपनी देह में या अपनी कोई भी वस्तु में अपनापन है वहाँ समानता में परसेन्टेज़ है, परसेन्टेज माना डिफेक्ट, ऐसे डिफेक्ट वाला कभी परफेक्ट नहीं बन सकता। परफेक्ट बनने के लिए बाप के लव में सदा लवलीन रहो। सदा लव में लवलीन रहने से सहज ही औरों को भी आप-समान व बाप-समान बना सकेंगे। बापदादा अपने लवली और लवलीन रहने वाले बच्चों को सदा तत त्वम् का वरदान देते हैं।

स्लोगन:-
एक दो के विचारों को रिगार्ड दो तो स्वयं का रिकार्ड अच्छा बन जायेगा।

अव्यक्तइशारे - स्वयं और सर्व के प्रति मन्सा द्वारा योग की शक्तियों का प्रयोग करो

मन्सा सेवा के लिए मन, बुद्धि व्यर्थ सोचने से मुक्त होना चाहिए। ‘मनमनाभव' के मंत्र का सहज स्वरूप होना चाहिए, जिन श्रेष्ठ आत्माओं की मन्सा अर्थात् संकल्प श्रेष्ठ और शक्तिशाली है, शुभ-भावना, शुभ-कामना वाले हैं वह मन्सा द्वारा शक्तियों का दान दे सकते हैं।