05-06-2025 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - बेहद के सुखों
के लिए तुम्हें बेहद की नॉलेज मिलती है, तुम फिर से राजयोग की शिक्षा से राजाई ले
रहे हो''
प्रश्नः-
तुम्हारा
ईश्वरीय कुटुम्ब किस बात में बिल्कुल ही निराला है?
उत्तर:-
इस ईश्वरीय
कुटुम्ब में कोई एक रोज़ का बच्चा है, कोई 8 रोज़ का लेकिन सब पढ़ रहे हैं। बाप ही
टीचर बनकर अपने बच्चों को पढ़ा रहे हैं। यह है निराली बात। आत्मा पढ़ती है। आत्मा
कहती है बाबा, बाबा फिर बच्चों को 84 जन्मों की कहानी सुनाते हैं।
गीत:-
दूरदेश का रहने
वाला.......
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) किसी भी बात में संशय बुद्धि नहीं बनना है, माया के तूफानों को
महावीर बन पार करना है, ऐसा योग में रहो जो माया का तूफान हिला न सके।
2) अक्लमंद बन अपनी जीवन ईश्वरीय सेवा में लगानी है। सच्चा-सच्चा रूहानी सोशल
वर्कर बनना है। रूहानी पढ़ाई पढ़नी और पढ़ानी है।
वरदान:-
अहम् और वहम
को समाप्त कर रहमदिल बनने वाले विश्व कल्याणकारी भव
कैसी भी अवगुण वाली, कड़े
संस्कार वाली, कम बुद्धि वाली, सदा ग्लानि करने वाली आत्मा हो लेकिन जो रहमदिल
विश्व कल्याणकारी बच्चे हैं वे सर्व आत्माओं के प्रति लॉफुल के साथ लवफुल होंगे। कभी
इस वहम में नहीं आयेंगे कि यह तो कभी बदल ही नहीं सकते, यह तो हैं ही ऐसे....या यह
कुछ नहीं कर सकते, मैं ही सब कुछ हूँ..यह कुछ नहीं हैं। इस प्रकार का अहम् और वहम
छोड़, कमजोरियों वा बुराइयों को जानते हुए भी क्षमा करने वाले रहमदिल बच्चे ही
विश्व कल्याण की सेवा में सफल होते हैं।
स्लोगन:-
जहाँ
ब्राह्मणों के तन-मन-धन का सहयोग है वहाँ सफलता साथ है।
अव्यक्त इशारे -
आत्मिक स्थिति में रहने का अभ्यास करो, अन्तर्मुखी बनो
आत्मायें जब आपके
आत्मिक स्वरूप का अनुभव करेंगी तब वे बाप की तरफ आकर्षित होकर, अहो प्रभू के गीत
गायेंगी और देहभान से सहज अर्पण हो जायेंगी। अहो आपका भाग्य! ओहो! मेरा भाग्य! इस
भाग्य की अनुभूति के कारण देह और देह के सम्बन्ध की स्मृति का त्याग कर देंगी।