05-08-2025 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - बाप आये हैं
इस वेश्यालय को शिवालय बनाने। तुम्हारा कर्तव्य है - वेश्याओं को भी ईश्वरीय सन्देश
दे उनका भी कल्याण करना''
प्रश्नः-
कौन-से बच्चे
अपना बहुत बड़ा नुकसान करते हैं?
उत्तर:-
जो किसी भी
कारण से मुरली (पढ़ाई) मिस करते हैं, वह अपना बहुत बड़ा नुकसान करते हैं। कई बच्चे
तो आपस में रूठ जाने के कारण क्लास में ही नहीं आते। कोई न कोई बहाना बनाकर घर में
ही सो जाते हैं, इससे वे अपना ही नुकसान करते हैं क्योंकि बाबा तो रोज़ कोई न कोई
नई युक्तियाँ बताते रहते हैं, सुनेंगे ही नहीं तो अमल में कैसे लायेंगे।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) सर्विस में बहुत-बहुत फुर्त बनना है। जितना समय मिले एकान्त में बैठ
बाप को याद करना है। पढ़ाई का शौक रखना है। पढ़ाई से रूठना नहीं है।
2) अपनी चलन बहुत-बहुत रॉयल रखनी है, बस अब घर जाना है, पुरानी दुनिया खत्म होनी
है इसलिए मोह की रगें तोड़ देनी हैं। वानप्रस्थ (वाणी से परे) अवस्था में रहने का
अभ्यास करना है। अधमों का भी उद्धार करने की सेवा करनी है।
वरदान:-
श्रेष्ठ वृत्ति
द्वारा वृत्तियों का परिवर्तन करने वाले सदा सिद्धि स्वरूप भव
सिद्धि स्वरूप बनने के लिए
वृत्ति द्वारा वृत्तियों को, संकल्प द्वारा संकल्पों को परिवर्तन करने का कार्य करो,
इसकी रिसर्च करो। जब इस सेवा में बिजी हो जायेंगे तो यह सूक्ष्म सेवा स्वत:कई
कमजोरियों से पार कर देगी। अभी इसका प्लैन बनाओ तो जिज्ञासू भी ज्यादा बढ़ेंगे,
मदोगरी भी बहुत बढ़ेगी, मकान भी मिल जायेंगे - सब सिद्धियां सहज हो जायेंगी। यह
विद्धि-सिद्धि स्वरूप बना देगी।
स्लोगन:-
समय को
सफल करते रहो तो समय के धोखे से बच जायेंगे।
अव्यक्त इशारे -
सहजयोगी बनना है तो परमात्म प्यार के अनुभवी बनो
बाप का बच्चों से
इतना प्यार है जो रोज़ प्यार का रेसपान्ड देने के लिए इतना बड़ा पत्र लिखते हैं।
यादप्यार देते हैं और साथी बन सदा साथ निभाते हैं, तो इस प्यार में अपनी सब कमजोरियां
कुर्बान कर दो। परमात्म प्यार में ऐसे समाये रहो जो कभी हद का प्रभाव अपनी ओर
आकर्षित न कर सके। सदा बेहद की प्राप्तियों में मगन रहो जिससे रूहानियत की खुशबू
वातावरण में फैल जाए।