06-08-2025 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - जितना समय
मिले एकान्त में जाकर याद की यात्रा करो, जब तुम मंजिल पर पहुँच जायेंगे तब यह
यात्रा पूरी हो जायेगी''
प्रश्नः-
संगम पर बाप
अपने बच्चों में कौन-सा ऐसा गुण भर देते हैं, जो आधाकल्प तक चलता रहता है?
उत्तर:-
बाप कहते -
जैसे मैं अति स्वीट हूँ, ऐसे बच्चों को भी स्वीट बना देता हूँ। देवतायें बहुत स्वीट
हैं। तुम बच्चे अभी स्वीट बनने का पुरुषार्थ कर रहे हो। जो बहुतों का कल्याण करते
हैं, जिनमें कोई शैतानी ख्यालात नहीं हैं, वही स्वीट हैं। उन्हें ही ऊंच पद प्राप्त
होता है। उनकी ही फिर पूजा होती है।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) हर प्रकार से पुरुषार्थ करना है, फिक्र (चिंता) नहीं क्योंकि हमारा
रेसपान्सिबुल स्वयं बाप है। हमारा कुछ भी व्यर्थ नहीं जा सकता।
2 बाप समान बहुत-बहुत स्वीट बनना है। अनेकों का कल्याण करना है। इस अन्तिम जन्म
में पवित्र जरूर बनना है। धंधा आदि करते अभ्यास करना है कि मैं आत्मा हूँ।
वरदान:-
प्रवृत्ति के
विस्तार में रहते फरिश्ते पन का साक्षात्कार कराने वाले साक्षात्कार मूर्त भव
प्रवृत्ति का विस्तार होते
हुए भी विस्तार को समेटने और उपराम रहने का अभ्यास करो। अभी-अभी स्थूल कार्य कर रहे
हैं, अभी-अभी अशरीरी हो गये - यह अभ्यास फरिश्ते पन का साक्षात्कार करायेगा। ऊंची
स्थिति में रहने से छोटी-छोटी बातें व्यक्त भाव की अनुभव होंगी। ऊंचा जाने से
नीचापन आपेही छूट जायेगा। मेहनत से बच जायेंगे। समय भी बचेगा, सेवा भी फास्ट होगी।
बुद्धि इतनी विशाल हो जायेगी जो एक समय पर कई कार्य कर सकती है।
स्लोगन:-
खुशी
को कायम रखने के लिए आत्मा रूपी दीपक में ज्ञान का घृत रोज़ डालते रहो।
अव्यक्त इशारे -
सहजयोगी बनना है तो परमात्म प्यार के अनुभवी बनो
बच्चों से बाप का
प्यार है इसलिए सदा कहते हैं बच्चे जो हो, जैसे हो - मेरे हो। ऐसे आप भी सदा प्यार
में लवलीन रहो, दिल से कहो बाबा जो हो वह सब आप ही हो। कभी असत्य के राज्य के
प्रभाव में नहीं आओ। श्रेष्ठ भाग्य की लकीर खींचने का कलम बाप ने आप बच्चों के हाथ
में दी है, आप जितना चाहे उतना भाग्य बना सकते हो।