07-06-2025 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - तुम अभी
पुजारी से पूज्य बन रहे हो, पूज्य बाप आये हैं तुम्हें आप समान पूज्य बनाने''
प्रश्नः-
तुम बच्चों के
अन्दर कौन-सा दृढ़ विश्वास है?
उत्तर:-
तुम्हें दृढ़
विश्वास है कि हम जीते जी बाप से पूरा वर्सा लेकर ही छोड़ेंगे। बाबा की याद में यह
पुराना शरीर छोड़ बाप के साथ जायेंगे। बाबा हमें घर का सहज रास्ता बता रहे हैं।
गीत:-
ओम् नमो शिवाए..........
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) साक्षी हो अपने को देखना है कि हम कहाँ तक पुरुषार्थ करते हैं? चलते
फिरते, कर्म करते कितना समय बाप की याद में रहते हैं?
2) इस शरीर से कभी भी तंग नहीं होना है। इस शरीर में ही जी करके बाप से वर्सा
पाना है। स्वर्गवासी बनने के लिए इस लाइफ में पूरी स्टडी करनी है।
वरदान:-
त्रिकालदर्शी
और साक्षी दृष्टा बन हर कर्म करते बन्धनमुक्त स्थिति के अनुभव द्वारा दृष्टान्त रूप
भव
यदि त्रिकालदर्शी स्टेज पर
स्थिति हो, कर्म के आदि मध्य अन्त को जानकर कर्म करते हो तो कोई भी कर्म विकर्म नहीं
हो सकता है, सदा सुकर्म होगा। ऐसे ही साक्षी दृष्टा बन कर्म करने से कोई भी कर्म के
बन्धन में कर्म बन्धनी आत्मा नहीं बनेंगे। कर्म का फल श्रेष्ठ होने के कारण कर्म
सम्बन्ध में आयेंगे, बन्धन में नहीं। कर्म करते न्यारे और प्यारे रहेंगे तो अनेक
आत्माओं के सामने दृष्टान्त रूप अर्थात् एक्जैम्पल बन जायेंगे।
स्लोगन:-
जो मन
से सदा सन्तुष्ट है वही डबल लाइट है।
अव्यक्त
इशारे-आत्मिक स्थिति में रहने का अभ्यास करो, अन्तर्मुखी बनो
कोई भी समर्थ
संकल्प आत्मिक शक्ति अर्थात् एनर्जी जमा करता है, समय भी सफल करता है। व्यर्थ
संकल्प एनर्जी और समय को व्यर्थ गंवाता है इसलिए अब व्यर्थ संकल्प की रचना बन्द करो।
यह रचना ही आत्मा रचता को परेशान करने वाली है इसलिए सदा इसी शान में रहो कि मैं
आत्मा मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ, समर्थ आत्मा हूँ तो कभी परेशान नहीं होंगे और अनेकों
की परेशानी को मिटाने वाले बन जायेंगे।