07-10-2025 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठेबच्चे - भिन्न-भिन्न
युक्तियां सामने रख याद की यात्रा पर रहो, इस पुरानी दुनिया को भूल अपने स्वीट होम
और नई दुनिया को याद करो''
प्रश्नः-
कौन सी एक्ट
अथवा पुरुषार्थ अभी ही चलता है, सारे कल्प में नहीं?
उत्तर:-
याद की यात्रा
में रह आत्मा को पावन बनाने का पुरुषार्थ, सारी दुनिया को पतित से पावन बनाने की
एक्ट सारे कल्प में सिर्फ इसी संगम समय पर चलती है। यह एक्ट हर कल्प रिपीट होती है।
तुम बच्चे इस अनादि अविनाशी ड्रामा के वण्डरफुल राज़ को समझते हो।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) बुद्धि में रहे अब हमारे लिए नई स्थापना हो रही है, यह दु:ख की पुरानी
दुनिया खत्म हुई कि हुई। यह दुनिया बिल्कुल पसन्द नहीं आनी चाहिए।
2) जैसे बाबा ने अपना सब कुछ एक्सचेंज कर दिया तो बुद्धि कहाँ जाती नहीं। ऐसे
फालो फादर करना है। दिल में बस यही चाहना रहे कि हम मनुष्य को देवता बनाने की सेवा
करें, इस वेश्यालय को शिवालय बनायें।
वरदान:-
देह अभिमान के
रॉयल रूप को भी समाप्त करने वाले साक्षी और दृष्टा भव
दूसरों की बातों को
रिगार्ड न देना, कट कर देना - यह भी देह अभिमान का रॉयल रूप है जो अपना वा दूसरों
का अपमान कराता है क्योंकि जो कट करता है उसे अभिमान आता है और जिसकी बात को कट करता
उसे अपमान लगता है इसलिए साक्षी दृष्टा के वरदान को स्मृति में रख, ड्रामा की ढाल व
ड्रामा के पट्टे पर हर कर्म और संकल्प करते हुए, मैं पन के इस रॉयल रूप को भी
समाप्त कर हर एक की बात को सम्मान दो, स्नेह दो तो वह सदा के लिए सहयोगी हो जायेगा।
स्लोगन:-
परमात्म श्रीमत रूपी जल के आधार से कर्म रूपी बीज को शक्तिशाली बनाओ।
अव्यक्त-इशारे -
स्वयं और सर्व के प्रति मन्सा द्वारा योग की शक्तियों का प्रयोग करो
हर समय, हर आत्मा
के प्रति मन्सा स्वत: शुभभावना और शुभकामना के शुद्ध वायब्रेशन वाली स्वयं को और
दूसरों को अनुभव हो। मन से हर समय सर्व आत्माओं प्रति दुआयें निकलती रहें। मन्सा सदा
इसी सेवा में बिजी रहे। जैसे वाचा की सेवा में बिजी रहने के अनुभवी हो गये हो। अगर
सेवा नहीं मिलती तो अपने को खाली अनुभव करते हो। ऐसे हर समय वाणी के साथ-साथ मन्सा
सेवा स्वत: होती रहे।