08-06-2025     प्रात:मुरली  ओम् शान्ति 15.11.2005 "बापदादा"    मधुबन


“सच्चे दिल से बाप व परिवार के स्नेही बन मेहनत मुक्त बनने का वायदा करो और फायदा लो''


वरदान:-
कम्बाइन्ड स्वरूप की स्मृति द्वारा अभुल बनने वाले निरन्तर योगी भव

जो बच्चे स्वयं को बाप के साथ कम्बाइन्ड अनुभव करते हैं उन्हें निरन्तर योगी भव का वरदान स्वत: मिल जाता है क्योंकि वो जहाँ भी रहते हैं मिलन मेला होता रहता है। उन्हें कोई कितना भी भुलाने की कोशिश करे - लेकिन वे अभुल होते हैं। ऐसे अभुल बच्चे जो बाप को अति प्यारे हैं वही निरन्तर योगी हैं क्योंकि प्यार की निशानी है - स्वत: याद। उनके संकल्प रूपी नाखून को भी माया हिला नहीं सकती।

स्लोगन:-
कारण सुनाने के बजाए उसका निवारण करो तो दुआओं के अधिकारी बन जायेंगे।

अव्यक्त इशारे-आत्मिक स्थिति में रहने का अभ्यास करो, अन्तर्मुखी बनो

अन्तर्मुखी बन ज्ञान मनन के अभ्यास द्वारा अलौकिक मस्ती में सदा मस्त रहो तो इस दुनिया की उलझनें अपनी ओर आकर्षित नहीं करेंगी। जैसे मिलेट्री वाले अन्डरग्राउण्ड चले जाते हैं तो बाहर के बाम्ब्स आदि का असर नहीं होता है, ऐसे आप अन्तर्मुखी, अण्डरग्राउण्ड आत्मिक स्थिति में रहने का अभ्यास करो तो बाहरमुखता की बातें डिस्टर्ब नहीं करेगी।