08-10-2025        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठेबच्चे - तुम इस पाठशाला में आये हो स्वर्ग के लिए पासपोर्ट लेने, आत्म-अभिमानी बनो और अपना नाम रजिस्टर में नोट करा दो तो स्वर्ग में आ जायेंगे''

प्रश्नः-
कौन-सी स्मृति न रहने के कारण बच्चे बाप का रिगार्ड नहीं रखते हैं?

उत्तर:-
कई बच्चों को यही स्मृति नहीं रहती कि जिसको सारी दुनिया पुकार रही है, याद कर रही है, वही ऊंच ते ऊंच बाप हम बच्चों की सेवा में उपस्थित हुआ है। यह निश्चय नम्बरवार है, जितना जिसको निश्चय है उतना रिगार्ड रखते हैं।

गीत:-
जो पिया के साथ है........

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) सरेन्डर के साथ-साथ निश्चयबुद्धि बनना है। कोई भी छी-छी काम न हो। अन्दर कोई भी अवगुण न रहे तब अच्छा पद मिल सकता है।

2) ज्ञान रत्नों का व्यापार करने के लिए बाबा जो अच्छी-अच्छी प्वाइंट्स सुनाते हैं, उन्हें नोट करना है। फिर उन्हें याद करके दूसरों को सुनाना है। सदा अपनी उन्नति का ख्याल करना है।

वरदान:-
बालक और मालिकपन की समानता द्वारा सर्व खजानों में सम्पन्न भव

जैसे बालकपन का नशा सभी में है ऐसे बालक सो मालिक अर्थात् बाप समान सम्पन्न स्थिति का अनुभव करो। मालिकपन की विशेषता है - जितना ही मालिक उतना ही विश्व सेवाधारी के संस्कार सदा इमर्ज रूप में रहें। मालिकपन का नशा और विश्व सेवाधारी का नशा समान रूप में हो तब कहेंगे बाप समान। बालक और मालिक दोनों स्वरूप सदा ही प्रत्यक्ष कर्म में आ जाएं तब बाप समान सर्व खजानों से सम्पन्न स्थिति का अनुभव कर सकेंगे।

स्लोगन:-
ज्ञान के अखुट खजानों के अधिकारी बनो तो अधीनता खत्म हो जायेगी।

अव्यक्त-इशारे - स्वयं और सर्व के प्रति मन्सा द्वारा योग की शक्तियों का प्रयोग करो

जैसे वाचा सेवा नेचुरल हो गई है, ऐसे मन्सा सेवा भी साथ-साथ और नेचुरल हो। वाणी के साथ मन्सा सेवा भी करते रहो तो आपको बोलना कम पड़ेगा। बोलने में जो एनर्जी लगाते हो वह मन्सा सेवा के सहयोग कारण वाणी की एनर्जी जमा होगी और मन्सा की शक्तिशाली सेवा सफलता ज्यादा अनुभव करायेगी।