11-10-2025        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठेबच्चे - तुम्हारा फ़र्ज है सबको स्थायी सुख और शान्ति का रास्ता बताना, शान्ति में रहो और शान्ति की बख्शीश (इनाम) दो''

प्रश्नः-
किस गुह्य राज़ को समझने के लिए बेहद की बुद्धि चाहिए?

उत्तर:-
ड्रामा की जो सीन जिस समय चलनी है, उस समय ही चलेगी। इसकी एक्यूरेट आयु है, बाप भी अपने एक्यूरेट टाइम पर आते हैं, इसमें एक सेकेण्ड का भी फ़र्क नहीं पड़ सकता है। पूरे 5 हज़ार वर्ष के बाद बाप आकर प्रवेश करते हैं, यह गुह्य राज़ समझने के लिए बेहद की बुद्धि चाहिए।

गीत:-
बदल जाए दुनिया न बदलेंगे हम........

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) इस आसुरी दुनिया में बहुत-बहुत सहनशील बनकर रहना है। कोई गाली दे, दु:ख दे तो भी सहन करना है। बाप की श्रीमत कभी नहीं छोड़नी है।

2) डायरेक्ट बाप ने पावन बनने का फरमान किया है इसलिए कभी भी पतित नहीं बनना है। कभी कोई पाप हो तो छिपाना नहीं है।

वरदान:-
एकनामी और इकॉनामी के पाठ द्वारा हलचल में भी अचल-अडोल भव

समय प्रमाण वायुमण्डल अशान्ति और हलचल का बढ़ता जा रहा है, ऐसे समय पर अचल अडोल रहने के लिए बुद्धि की लाइन बहुत क्लीयर होनी चाहिए। इसके लिए समय प्रमाण टचिंग और कैचिंग पावर की आवश्यकता है इसको बढ़ाने के लिए एकनामी और इकॉनामी वाले बनो। एकनामी और इकॉनामी करने वाले बच्चों की लाइन क्लीयर होने के कारण बापदादा के डायरेक्शन को सहज कैच कर हलचल में भी अचल-अडोल रहते हैं।

स्लोगन:-
स्थूल सूक्ष्म कामनाओं का त्याग करो तब किसी भी बात का सामना कर सकेंगे।

अव्यक्त इशारे - स्वयं और सर्व के प्रति मन्सा द्वारा योग की शक्तियों का प्रयोग करो

अभी मन्सा की क्वालिटी को बढ़ाओ तो क्वालिटी वाली आत्मायें समीप आयेंगी, इसमें डबल सेवा है - स्व की भी और दूसरों की भी। स्व के लिए अलग मेहनत नहीं करनी पड़ेगी। प्रालब्ध प्राप्त है, ऐसी स्थिति अनुभव होगी। इस समय की श्रेष्ठ प्रालब्ध है - “सदा स्वयं सर्व प्राप्तियों से सम्पन्न रहना और सम्पन्न बनाना''।