12-05-2025 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - धंधा आदि
करते भी सदा अपनी गॉडली स्टूडेण्ट लाइफ और स्टडी याद रखो, स्वयं भगवान हमको पढ़ाते
हैं इस नशे में रहो''
प्रश्नः-
जिन बच्चों को
ज्ञान अमृत हज़म करना आता है, उनकी निशानी क्या होगी?
उत्तर:-
उन्हें सदा
रूहानी नशा चढ़ा रहेगा और उस नशे के आधार पर सबका कल्याण करते रहेंगे। कल्याण करने
के सिवाए दूसरी कोई बात करना भी उन्हें अच्छा नहीं लगेगा। कांटों को फूल बनाने की
ही सेवा में बिजी रहेंगे।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) किसी को भी एक राम
(बाप) की बातों के सिवाए दूसरी कोई भी बातें नहीं सुनानी है। एक की बात दूसरे को
सुनाना, परचिंतन करना यह धूतीपना है, इसे छोड़ देना है।
2) एक बाप के साथ
प्रीत रखनी है। पुरानी देह का अभिमान छोड़ एक बाप की याद से स्वयं को पावन बनाना
है।
वरदान:-
समाने की शक्ति
द्वारा रांग को भी राइट बनाने वाले विश्व परिवर्तक भव
दूसरे की गलती को देखकर
स्वयं गलती नहीं करो। अगर कोई गलती करता है तो हम राइट में रहें, उसके संग के
प्रभाव में न आयें, जो प्रभाव में आ जाते हैं वह अलबेले हो जाते हैं। हर एक सिर्फ
यह जिम्मेवारी उठा लो कि मैं राइट के मार्ग पर ही रहूंगा, अगर दूसरा रांग करता है
तो उस समय समाने की शक्ति यूज करो। किसी की गलती को नोट करने के बजाए उसको सहयोग का
नोट दो अर्थात सहयोग से भरपूर कर दो तो विश्व परिवर्तन का कार्य सहज ही हो जायेगा।
स्लोगन:-
निरन्तर योगी बनना है तो हद के मैं और मेरेपन को बेहद में परिवर्तन करो।
अव्यक्त इशारे -
रूहानी रॉयल्टी और प्युरिटी की पर्सनैलिटी धारण करो
वर्तमान समय के
प्रमाण फरिश्ते-पन की सम्पन्न स्टेज के वा बाप समान स्टेज के समीप आ रहे हो, उसी
प्रमाण पवित्रता की परिभाषा भी अति सूक्ष्म होती जाती है। सिर्फ ब्रह्मचारी बनना ही
पवित्रता नहीं लेकिन ब्रह्मचारी के साथ ब्रह्मा बाप के हर कर्म रूपी कदम पर कदम रखने
वाले ब्रह्माचारी बनो।