16-04-2025        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - अपनी अवस्था देखो मेरी एक बाप से ही दिल लगती है या किसी कर्म सम्बन्धों से दिल लगी हुई है''

प्रश्नः-
अपना कल्याण करने के लिए किन दो बातों का पोतामेल रोज़ देखना चाहिए?

उत्तर:-
“योग और चलन'' का पोतामेल रोज़ देखो। चेक करो कोई डिस-सर्विस तो नहीं की? सदैव अपनी दिल से पूछो हम कितना बाप को याद करते हैं? अपना समय किस प्रकार सफल करते हैं? दूसरों को तो नहीं देखते हैं? किसी के नाम-रूप से दिल तो नहीं लगी हुई है?

गीत:-
मुखड़ा देख ले ...........

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) कोई भी कर्तव्य ऐसा नहीं करना है जिससे यज्ञ पिता की निंदा हो। बाप द्वारा जो राइटियस बुद्धि मिली है उस बुद्धि से अच्छे कर्म करने हैं। किसी को भी दु:ख नहीं देना है।

2) एक-दो से उल्टा-सुल्टा समाचार नहीं पूछना है, आपस में ज्ञान की ही बातें करनी हैं। झूठ, शैतानी, घर फिटाने वाली बातें यह सब छोड़ मुख से सदैव रत्न निकालने हैं। ईविल बातें न सुननी है, न सुनानी है।

वरदान:-
5 विकार रूपी दुश्मन को परिवर्तित कर सहयोगी बनाने वाले मायाजीत जगतजीत भव

विजयी, दुश्मन का रूप परिवर्तन जरूर करता है। तो आप विकारों रूपी दुश्मन को परिवर्तित कर सहयोगी स्वरूप बना दो जिससे वे सदा आपको सलाम करते रहेंगे। काम विकार को शुभ कामना के रूप में, क्रोध को रूहानी खुमारी के रूप में, लोभ को अनासक्त वृत्ति के रूप में, मोह को स्नेह के रूप में और देहाभिमान को स्वाभिमान के रूप में परिवर्तित कर दो तो मायाजीत जगतजीत बन जायेंगे।

स्लोगन:-
रीयल गोल्ड में मेरा पन ही अलाए है, जो वैल्यु को कम कर देता है इसलिए मेरेपन को समाप्त करो।

अव्यक्त इशारे - “कम्बाइण्ड रूप की स्मृति से सदा विजयी बनो''

कभी कोई कार्य में या सेवा में जब अकेले अनुभव करते हो तब थक जाते हो। फिर दो भुजा वालों को साथी बना लेते हो, हजार भुजा वाले को भूल जाते हो। जब हजार भुजा वाला अपना परमधाम घर छोड़कर आपको साथ देने के लिए आया है तो उसे अपने साथ कम्बाइण्ड क्यों नहीं रखते! सदा बुद्धि से कम्बाइण्ड रहो तो सहयोग मिलता रहेगा।