18-06-2025 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - यह रूद्र
ज्ञान यज्ञ स्वयं रूद्र भगवान ने रचा है, इसमें तुम अपना सब कुछ स्वाहा करो क्योंकि
अब घर चलना है''
प्रश्नः-
संगमयुग पर
कौन-सा वण्डरफुल खेल चलता है?
उत्तर:-
भगवान के रचे
हुए यज्ञ में ही असुरों के विघ्न पड़ते हैं। यह भी संगम पर ही वण्डरफुल खेल चलता
है। ऐसा यज्ञ फिर सारे कल्प में नहीं रचा जाता। यह है राजस्व अश्वमेध यज्ञ,
स्वराज्य पाने के लिए। इसमें ही विघ्न पड़ते हैं।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) सच्ची कमाई कर 21 जन्मों के लिए अपनी तकदीर बनानी है। शरीर पर कोई
भरोसा नहीं है इसलिए ज़रा भी चांस नहीं गँवाना है।
2) नष्टोमोहा बनकर अपना सब कुछ रूद्र यज्ञ में स्वाहा करना है। अपने को अर्पण कर
ट्रस्टी हो सम्भालना है। साकार बाप को फालो करना है।
वरदान:-
ईश्वरीय नशे
द्वारा पुरानी दुनिया को भूलने वाले सर्व प्राप्ति सम्पन्न भव
जैसे वह नशा सब कुछ भुला
देता है, ऐसे यह ईश्वरीय नशा दुखों की दुनिया को सहज ही भुला देता है। उस नशे में
तो बहुत नुकसान होता है, अधिक पीने से खत्म हो जाते हैं लेकिन यह नशा अविनाशी बना
देता है। जो सदा ईश्वरीय नशे में मस्त रहते हैं वह सर्व प्राप्ति सम्पन्न बन जाते
हैं। एक बाप दूसरा न कोई - यह स्मृति ही नशा चढ़ाती है। इसी स्मृति से समर्थी आ जाती
है।
स्लोगन:-
एक दो
को कॉपी करने के बजाए बाप को कॉपी करो।
अव्यक्त
इशारे-आत्मिक स्थिति में रहने का अभ्यास करो, अन्तर्मुखी बनो
अन्तर्मुखी रहने
वाले ही हर ज्ञान-रत्न की गुह्यता में जा सकते हैं। ज्ञान की हर प्वाइंट का राज़
क्या है और किस समय, किस विधि से उसे कार्य में वा सेवा में लगाना है, इस तरह से उस
पर मनन करते उस राज़ के रस में चले जाओ, तो नशे की अनुभूति कर सकेंगे।