18-12-2025 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - बेहद का बाबा
आया है तुम बच्चों का ज्ञान से श्रृंगार करने, ऊंच पद पाना है तो सदा श्रृंगारे हुए
रहो''
प्रश्नः-
किन बच्चों को
देखकर बेहद का बाप बहुत खुश होते हैं?
उत्तर:-
जो बच्चे
सर्विस के लिए एवररेडी रहते हैं, अलौकिक और पारलौकिक दोनों बाप को पूरा फालो करते
हैं, ज्ञान-योग से आत्मा को श्रृंगारते हैं, पतितों को पावन बनाने की सेवा करते
हैं, ऐसे बच्चों को देख बेहद के बाप को बहुत खुशी होती है। बाप की चाहना हैं मेरे
बच्चे मेहनत कर ऊंच पद पायें।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) स्वदर्शन चक्र फिराते पापों को भस्म करना है, रूहानी पढ़ाई से अपना
पद श्रेष्ठ बनाना है। किसी भी परिस्थिति में आंसू नहीं बहाने हैं।
2) यह वानप्रस्थ अवस्था में रहने का समय है, इसलिए वनवाह में बहुत साधारण रहना
है। न बहुत ऊंच, न बहुत नीच। वापस जाने के लिए आत्मा को सम्पूर्ण पावन बनाना है।
वरदान:-
सदा मोल्ड होने
की विशेषता से सम्पर्क और सेवा में सफल होने वाले सफलतामूर्त भव
जिन बच्चों में स्वयं को
मोल्ड करने की विशेषता है वह सहज ही गोल्डन एज की स्टेज तक पहुंच सकते हैं। जैसा
समय, जैसे सरकमस्टांश हो उसी प्रमाण अपनी धारणाओं को प्रत्यक्ष करने के लिए मोल्ड
होना पड़ता है। मोल्ड होने वाले ही रीयल गोल्ड हैं। जैसे साकार बाप की विशेषता देखी
- जैसा समय, जैसा व्यक्ति वैसा रूप - ऐसे फालो फादर करो तो सेवा और सम्पर्क सबमें
सहज ही सफलतामूर्त बन जायेंगे।
स्लोगन:-
जहाँ
सर्वशक्तियां हैं वहाँ निर्विघ्न सफलता साथ है।
अव्यक्त इशारे -
अब सम्पन्न वा कर्मातीत बनने की धुन लगाओ
जैसे साकार में आने
जाने की सहज प्रैक्टिस हो गई है, वैसे आत्मा को अपनी कर्मातीत अवस्था में रहने की
भी प्रैक्टिस हो। अभी-अभी कर्मयोगी बन कर्म में आना, कर्म समाप्त हुआ फिर कर्मातीत
अवस्था में रहना, इसका अनुभव सहज होता जाए। सदा लक्ष्य रहे कि कर्मातीत अवस्था में
रहना है, निमित्त मात्र कर्म करने के लिए कर्मयोगी बने फिर कर्मातीत।