19-05-2025        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - श्रीमत ही तुमको श्रेष्ठ बनाने वाली है, इसलिए श्रीमत को भूलो मत, अपनी मत को छोड़ एक बाप की मत पर चलो''

प्रश्नः-
पुण्य आत्मा बनने की युक्ति क्या है?

उत्तर:-
पुण्य आत्मा बनना है तो सच्ची दिल से, प्यार से एक बाप को याद करो। 2. कर्मेन्द्रियों से कोई भी विकर्म न करो। सबको रास्ता बताओ। अपनी दिल से पूछो - यह पुण्य हम कितना करते हैं? अपनी चेकिंग करो - ऐसा कोई कर्म न हो जिसकी 100 गुणा सजा खानी पड़े। तो चेकिंग करने से पुण्य आत्मा बन जायेंगे।

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) बाप जो अविनाशी ज्ञान रत्नों का ख़ज़ाना देते हैं उसका कदर करना है। बेपरवाह बन पाप कर्म नहीं करने हैं। अगर निश्चय है भगवान हमको पढ़ाते हैं तो अपार खुशी में रहना है।

2) ईश्वर के घर में कभी चोरी आदि करने का ख्याल न आये। यह आदत बहुत गंदी है। कहा जाता कख का चोर सो लख का चोर। अपने अन्दर से पूछना है - हम कितना पुण्य आत्मा बने हैं?

वरदान:-
निर्बल, दिलशिकस्त, असमर्थ आत्मा को एकस्ट्रा बल देने वाले रूहानी रहमदिल भव

जो रूहानी रहमदिल बच्चे हैं - वह महादानी बन बिल्कुल होपलेस केस में होप पैदा कर देते हैं। निर्बल को बलवान बना देते हैं। दान सदा गरीब को, बेसहारे को दिया जाता है। तो जो निर्बल दिलशिकस्त, असमर्थ प्रजा क्वालिटी की आत्मायें हैं उनके प्रति रूहानी रहमदिल बन महादानी बनो। आपस में एक दूसरे के प्रति महादानी नहीं। वह तो सहयोगी साथी हो, भाई भाई हो, हमशरीक पुरुषार्थी हो, सहयोग दो, दान नहीं।

स्लोगन:-
सदा एक बाप के श्रेष्ठ संग में रहो तो और किसी के संग का रंग प्रभाव नहीं डाल सकता।


अव्यक्त इशारे - रूहानी रॉयल्टी और प्युरिटी की पर्सनैलिटी धारण करो

प्युरिटी के साथ-साथ चेहरे और चलन में रूहानियत की पर्सनैलिटी को धारण कर, इस ऊंची पर्सनैलिटी के रूहानी नशे में रहो। अपनी रूहानी पर्सनैलिटी को स्मृति में रख सदा प्रसन्नचित रहो तो सब प्रश्न समाप्त हो जायेंगे। अशान्त और परेशान आत्मायें आपकी प्रसन्नता की नज़र से प्रसन्न हो जायेंगी।