20-07-2025     प्रात:मुरली  ओम् शान्ति 25.02.2006 "बापदादा"    मधुबन


“आज उत्सव के दिन मन के उमंग-उत्साह द्वारा माया से मुक्त रहने का व्रत लो, मर्सीफुल बन मास्टर मुक्तिदाता बनो, साथ चलना है तो समान बनो''


वरदान:-
विश्व कल्याण की जिम्मेवारी समझ समय और शक्तियों की इकॉनामी करने वाले मास्टर रचता भव

विश्व की सर्व आत्मायें आप श्रेष्ठ आत्माओं का परिवार है, जितना बड़ा परिवार होता है उतना ही इकॉनामी का ख्याल रखा जाता है। तो सर्व आत्माओं को सामने रखते हुए, स्वयं को बेहद की सेवार्थ निमित्त समझते हुए अपने समय और शक्तियों को कार्य में लगाओ। अपने प्रति ही कमाया, खाया और गँवाया - ऐसे अलबेले नहीं बनो। सर्व खजानों का बजट बनाओ। मास्टर रचयिता भव के वरदान को स्मृति में रख समय और शक्ति का स्टॉक सेवा प्रति जमा करो।

स्लोगन:-
महादानी वह है जिसके संकल्प और बोल द्वारा सबको वरदानों की प्राप्ति हो।

अव्यक्त इशारे - संकल्पों की शक्ति जमा कर श्रेष्ठ सेवा के निमित्त बनो

आपकी जो सूक्ष्म शक्तियां मंत्री वा महामंत्री हैं, (मन और बुद्धि) उन्हें अपने आर्डर प्रमाण चलाओ। यदि अभी से राज्य दरबार ठीक होगा तो धर्मराज की दरबार में नहीं जायेगे। धर्मराज भी स्वागत करेगा। लेकिन यदि कन्ट्रोलिंग पावर नहीं होगी तो फाइनल रिज़ल्ट में फाइन भरने के लिए धर्मराज पुरी में जाना पड़ेगा। यह सजायें फाइन हैं। रिफाइन बन जाओ तो फाइन नहीं भरना पड़ेगा।

सूचनाः- आज मास का तीसरा रविवार है, सभी राजयोगी तपस्वी भाई बहिनें सायं 6.30 से 7.30 बजे तक, विशेष योग अभ्यास के समय भक्तों की पुकार सुनें और अपने ईष्ट देव रहमदिल, दाता स्वरूप में स्थित हो सबकी मनोकामनायें पूर्ण करने की सेवा करें।