21-04-2025        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - बाप आया है तुम्हें करेन्ट देने, तुम देही-अभिमानी होंगे, बुद्धियोग एक बाप से होगा तो करेन्ट मिलती रहेगी''

प्रश्नः-
सबसे बड़ा आसुरी स्वभाव कौन-सा है, जो तुम बच्चों में नहीं होना चाहिए?

उत्तर:-
अशान्ति फैलाना, यह है सबसे बड़ा आसुरी स्वभाव। अशान्ति फैलाने वाले से मनुष्य तंग हो जाते हैं। वह जहाँ जायेंगे वहाँ अशान्ति फैला देंगे इसलिए भगवान से सभी शान्ति का वर मांगते हैं।

गीत:-
यह कहानी है दीवे और तूफान की ............

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) पढ़ाई में बहुत-बहुत कमाई है इसलिए कमाई खुशी-खुशी से करनी है। पढ़ते समय कभी उबासी आदि न आये, बुद्धियोग इधर-उधर न भटके। प्वाइंट्स नोट कर धारणा करते रहो।

2) पवित्र बन बाप के दिल का प्यार पाने का अधिकारी बनना है। सर्विस में होशियार बनना है, अच्छी कमाई करनी और करानी है।

वरदान:-
मरजीवा जन्म की स्मृति से सर्व कर्मबन्धनों को समाप्त करने वाले कर्मयोगी भव

यह मरजीवा दिव्य जन्म कर्मबन्धनी जन्म नहीं, यह कर्मयोगी जन्म है। इस अलौकिक दिव्य जन्म में ब्राह्मण आत्मा स्वतंत्र है न कि परतंत्र। यह देह लोन में मिली हुई है, सारे विश्व की सेवा के लिए पुराने शरीरों में बाप शक्ति भर-कर चला रहे हैं, जिम्मेवारी बाप की है, न कि आप की। बाप ने डायरेक्शन दिया है कि कर्म करो, आप स्वतंत्र हो, चलाने वाला चला रहा है। इसी विशेष धारणा से कर्मबन्धनों को समाप्त कर कर्मयोगी बनो।

स्लोगन:-
समय की समीपता का फाउन्डेशन है - बेहद की वैराग्य वृत्ति।

अव्यक्त इशारे - “कम्बाइण्ड रूप की स्मृति से सदा विजयी बनो''

जितना-जितना याद में रहेंगे उतना अनुभव करेंगे कि मैं अकेला नहीं लेकिन बाप-दादा सदा साथ है। कोई भी समस्या सामने आये तो यही स्मृति में रहे कि मैं कम्बाइन्ड हूँ, तो घबरायेंगे नहीं। कम्बाइन्ड रूप की स्मृति से कोई भी मुश्किल कार्य सहज हो जायेगा। अपने सब बोझ बाप के ऊपर रख स्वयं हल्के हो जाओ तो सदा अपने को खुशनसीब अनुभव करेंगे और फरिश्ते के समान नाचते रहेंगे।