21-05-2025        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - तुम आत्माओं का प्यार एक बाप से है, बाप ने तुम्हें आत्मा से प्यार करना सिखलाया है, शरीर से नहीं''

प्रश्नः-
किस पुरुषार्थ में ही माया विघ्न डालती है? मायाजीत बनने की युक्ति क्या है?

उत्तर:-
तुम पुरुषार्थ करते हो कि हम बाप को याद करके अपने पापों को भस्म करें। तो इस याद में ही माया का विघ्न पड़ता है। बाप उस्ताद तुम्हें मायाजीत बनने की युक्ति बताते हैं। तुम उस्ताद को पहचान कर याद करो तो खुशी भी रहेगी, पुरुषार्थ भी करते रहेंगे और सर्विस भी खूब करेंगे। मायाजीत भी बन जायेंगे।

गीत:-
इस पाप की दुनिया से.....

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) श्रीमत पर चल बादशाही लेनी है। चावल मुट्ठी दे 21 जन्मों के लिए महल लेने हैं। भविष्य के लिए कमाई जमा करनी है।

2) गृहस्थ व्यवहार में रहते इस पुरानी दुनिया से ममत्व मिटाकर पूरा पावन बनना है। सब कुछ करते बुद्धि बाप की तरफ लगी रहे।

वरदान:-
मन्सा शुभ भावना द्वारा एक दो को आगे बढ़ाने वाले विश्व कल्याणकारी भव

यदि कोई कुछ रांग कर रहा है तो उसे परवश समझकर रहम की दृष्टि से परिवर्तन करो, डिसकस नहीं करो। अगर कोई पत्थर से रूक जाता है तो आपका काम है पार करके चले जाना या उसको भी साथी बनाकर पार ले जाना। इसके लिए हर एक की विशेषता को देखो, कमियों को छोड़ते जाओ। अब किसी को भी वाणी से सावधान करने का समय नहीं लेकिन मन्सा शुभ भावना द्वारा एक दूसरे के सहयोगी बनकर आगे बढ़ो और बढ़ाओ तब कहेंगे विश्व कल्याणकारी।

स्लोगन:-
दृढ़ संकल्प की बेल्ट बांध लो तो सीट से अपसेट नहीं होंगे।


अव्यक्त इशारे - रूहानी रॉयल्टी और प्युरिटी की पर्सनैलिटी धारण करो

प्रत्यक्षता का सूर्य उदय तब होगा जब पवित्रता की शमा चारों ओर जलायेंगे। जैसे वो शमा ले करके चक्कर लगाते हैं, ऐसे पवित्रता की शमा चारों ओर जगमगा दो तब सब बाप को देख सकेंगे, पहचान सकेंगे। जितनी अचल पवित्रता की शमा होगी उतना सहज सभी बाप को पहचान सकेंगे और पवित्रता की जयजयकार होगी।