21-06-2025 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - तुम्हें
स्मृति आई कि हमने 84 जन्मों का चक्र पूरा किया, अब जाते हैं अपने घर शान्ति-धाम,
घर जाने में बाकी थोड़ा समय है''
प्रश्नः-
जिन बच्चों को
घर चलने की स्मृति रहती है, उनकी निशानी क्या होगी?
उत्तर:-
वह इस पुरानी
दुनिया को देखते हुए भी नहीं देखेंगे। उन्हें बेहद का वैराग्य होगा, धन्धेधोरी में
रहते भी हल्के रहेंगे। इधर-उधर झरमुई-झगमुई की बातों में अपना समय बरबाद नहीं करेंगे।
अपने को इस दुनिया में मेहमान समझेंगे।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) स्वयं को पापों से मुक्त करने का पुरुषार्थ करना है, देह-अभिमान में
कभी नहीं आना है। इस दुनिया की कोई भी चीज़ में मोह नहीं रखना है।
2) माया रूपी जिन्न से बचने के लिए बुद्धि को रूहानी धन्धे में बिजी रखना है।
बाप का पूरा-पूरा मददगार बनना है।
वरदान:-
सर्व खजानों
को समय पर यूज़ कर निरन्तर खुशी का अनुभव करने वाले खुशनसीब आत्मा भव
बापदादा द्वारा ब्राह्मण
जन्म होते ही सारे दिन के लिए अनेक श्रेष्ठ खुशी के खजाने प्राप्त होते हैं इसलिए
आपके नाम से ही अब तक अनेक भक्त अल्पकाल की खुशी में आ जाते हैं, आपके जड़ चित्रों
को देखकर खुशी में नाचने लगते हैं। ऐसे आप सब खुशनसीब हो, बहुत खजाने मिले हैं
लेकिन सिर्फ समय पर यूज़ करो। चाबी को सदा सामने रखो अर्थात् सदा स्मृति में रखो और
स्मृति को स्वरूप में लाओ तो निरन्तर खुशी का अनुभव होता रहेगा।
स्लोगन:-
बाप की
श्रेष्ठ आशाओं का दीपक जगाने वाले ही कुल दीपक हैं।
अव्यक्त
इशारे-आत्मिक स्थिति में रहने का अभ्यास करो, अन्तर्मुखी बनो
आत्मिक स्थिति में
रह बाहरमुखता को छोड़ दो तो मेहनत से छूट जायेंगे और अनुभवों के सागर में समा
जायेंगे। एक दो अनुभव नहीं अथाह हैं। एक दो अनुभव करके अनुभव के तालाब में नहीं
नहाओ। सागर के बच्चे अनुभवों के सागर में समा जाओ।