21-07-2025 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - पुरुषार्थ
कर दैवी गुण अच्छी रीति धारण करने हैं, किसी को भी दु:ख नहीं देना है, तुम्हारी कोई
भी आसुरी एक्टिविटी नहीं चाहिए''
प्रश्नः-
कौन से आसुरी
गुण तुम्हारे श्रृंगार को बिगाड़ देते हैं?
उत्तर:-
आपस में
लड़ना-झगड़ना, रूठना, सेन्टर पर धमचक्र मचाना, दु:ख देना - यह आसुरी गुण हैं, जो
तुम्हारे श्रृंगार को बिगाड़ देते हैं। जो बच्चे बाप का बन करके भी इन आसुरी गुणों
का त्याग नहीं करते हैं, उल्टे कर्म करते हैं, उन्हें बहुत घाटा पड़ जाता है। हिसाब
ही हिसाब है। बाप के साथ धर्मराज भी है।
गीत:-
भोलेनाथ से
निराला......
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) हम दु:ख हर्ता सुख कर्ता बाप के बच्चे हैं, हमें किसी को दु:ख नहीं
देना है। डिससर्विस कर अपने आपको श्रापित नहीं करना है।
2) अपने ख्यालात बड़े ऊंचे और रॉयल रखने हैं। रहमदिल बन सर्विस पर तत्पर रहना
है। खाने-पीने की हबच (लालच) को छोड़ देना है।
वरदान:-
ऑनेस्ट बन
स्वयं को बाप के आगे स्पष्ट करने वाले चढ़ती कला के अनुभवी भव
स्वयं को जो हैं जैसे हैं
- वैसे ही बाप के आगे प्रत्यक्ष करना - यही सबसे बड़े से बड़ा चढ़ती कला का साधन
है। बुद्धि पर जो अनेक प्रकार के बोझ हैं उन्हें समाप्त करने की यही सहज युक्ति है।
ऑनेस्ट बन स्वयं को बाप के आगे स्पष्ट करना अर्थात् पुरुषार्थ का मार्ग स्पष्ट बनाना।
कभी भी चतुराई से मनमत और परमत के प्लैन बनाकर बाप वा निमित्त बनी हुई आत्माओं के
आगे कोई बात रखते हो - तो यह ऑनेस्टी नहीं। ऑनेस्टी अर्थात् जैसे बाप जो है जैसा है
बच्चों के आगे प्रत्यक्ष है, वैसे बच्चे बाप के आगे प्रत्यक्ष हों।
स्लोगन:-
सच्चा
तपस्वी वह है जो सदा सर्वस्व त्यागी की पोजीशन में रहता है।
अव्यक्त इशारे -
संकल्पों की शक्ति जमा कर श्रेष्ठ सेवा के निमित्त बनो
वर्तमान, भविष्य
का दर्पण है। वर्तमान की स्टेज अर्थात् दर्पण द्वारा अपना भविष्य स्पष्ट देख सकते
हो। भविष्य राज्य-अधिकारी बनने के लिए चेक करो कि वर्तमान मेरे में रूलिंग पावर कहाँ
तक है? पहले सूक्ष्म शक्तियाँ, जो विशेष कार्यकर्ता हैं - संकल्प शक्ति के ऊपर,
बुद्धि के ऊपर पूरा अधिकार हो तब अपना भविष्य उज्वल बना सकेंगे।