22-06-2025 प्रात:मुरली ओम् शान्ति 15.12.2005 "बापदादा" मधुबन
अब स्नेह और सहयोग की
रूपरेखा स्टेज पर लाओ, हर एक को गुण और शक्तियों की गिफ्ट दो
वरदान:-
मन के मौन से
सेवा की नई इन्वेन्शन निकालने वाले सिद्धि स्वरूप भव
जैसे पहले-पहले मौन
व्रत रखा था तो सब फ्री हो गये थे, टाइम बच गया था ऐसे अब मन का मौन रखो जिससे
व्यर्थ संकल्प आवे ही नहीं। जैसे मुख से आवाज न निकले वैसे व्यर्थ संकल्प न आये -
यह है मन का मौन। तो समय बच जायेगा। इस मन के मौन से सेवा की ऐसी नई इन्वेन्शन
निकलेगी जो साधना कम और सिद्धि ज्यादा होगी। जैसे साइंस के साधन सेकण्ड में विधि को
प्राप्त कराते हैं वैसे इस साइलेन्स के साधन द्वारा सेकण्ड में विधि प्राप्त होगी।
स्लोगन:-
जो स्वयं समर्पित स्थिति में रहते हैं-सर्व का सहयोग भी उनके आगे समर्पित होता है।
अव्यक्त इशारे-आत्मिक
स्थिति में रहने का अभ्यास करो, अन्तर्मुखी बनो
अनेक प्रकार के
व्यक्ति, वैभव अथवा अनेक प्रकार की वस्तुओं के सम्पर्क में आते आत्मिक भाव और
अनासक्त भाव धारण करो। यह वैभव और वस्तुयें अनासक्त के आगे दासी के रूप में होंगी
और आसक्त भाव वाले के आगे चुम्बक की तरह फंसाने वाली होंगी।