22-12-2025        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - बाप जो है, जैसा है, उसे यथार्थ पहचान कर याद करो, इसके लिए अपनी बुद्धि को विशाल बनाओ''

प्रश्नः-
बाप को गरीब-निवाज़ क्यों कहा गया है?

उत्तर:-
क्योंकि इस समय जब सारी दुनिया गरीब अर्थात् दु:खी बन गई है तब बाप आये हैं सबको दु:ख से छुड़ाने। बाकी किस पर तरस खाकर कपड़े दे देना, पैसा दे देना वह कोई कमाल की बात नहीं। इससे वह कोई साहूकार नहीं बन जाते। ऐसे नहीं मैं कोई इन भीलों को पैसा देकर गरीब-निवाज़ कहलाऊंगा। मैं तो गरीब अर्थात् पतितों को, जिनमें ज्ञान नहीं है, उन्हें ज्ञान देकर पावन बनाता हूँ।

गीत:-
यही बहार है दुनिया को भूल जाने की.......

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) रूप-बसन्त बन मुख से सदा सुखदाई बोल बोलने हैं, दु:खदाई नहीं बनना है। ज्ञान के विचारों में रहना है, मुख से ज्ञान रत्न ही निकालने हैं।

2) निर्मोही बनना है, हर एक से प्यार से काम लेना है, गुस्सा नहीं करना है। अनाथ को सनाथ बनाने की सेवा करनी है।

वरदान:-
अपने फरिश्ते रूप द्वारा गति-सद्गति का प्रसाद बांटने वाले मास्टर गति-सद्गति दाता भव

वर्तमान समय विश्व की अनेक आत्मायें परिस्थितियों के वश चिल्ला रही हैं, कोई मंहगाई से, कोई भूख से, कोई तन के रोग से, कोई मन की अशान्ति से .... सबकी नजर टॉवर ऑफ पीस की तरफ जा रही है। सब देख रहे हैं हा-हाकार के बाद जय-जयकार कब होती है। तो अब अपने साकारी फरिश्ते रूप द्वारा विश्व के दु:ख दूर करो, मास्टर गति सद्गति दाता बन भक्तों को गति और सद्गति का प्रसाद बांटो।

स्लोगन:-
मन को इतना शक्तिशाली बना लो जो कोई भी परिस्थिति मन को हलचल में न ला सके।

अव्यक्त इशारे - अब सम्पन्न वा कर्मातीत बनने की धुन लगाओ

अब सेवा के कर्म के भी बन्धन में नहीं आओ। हमारा स्थान, हमारी सेवा, हमारे स्टूडेन्ट, हमारी सहयोगी आत्मायें, यह भी सेवा के कर्म का बन्धन है, इस कर्मबन्धन से कर्मातीत। तो कर्मातीत बनना है और “यह वही हैं, यही सब कुछ हैं,'' यह महसूसता दिलाए आत्माओं को समीप ठिकाने पर लाना है।