24-07-2025 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - तुम इस
पढ़ाई से अपने सुखधाम जाते हो वाया शान्तिधाम, यही तुम्हारी एम आब्जेक्ट है, यह कभी
नहीं भूलनी चाहिए''
प्रश्नः-
तुम बच्चे
साक्षी होकर इस समय ड्रामा की कौन-सी सीन देख रहे हो?
उत्तर:-
इस समय ड्रामा
में टोटल दु:ख की सीन है। अगर किसी को सुख है भी तो अल्पकाल काग विष्टा समान। बाकी
दु:ख ही दु:ख है। तुम बच्चे अभी रोशनी में आये हो। जानते हो सेकण्ड बाई सेकण्ड बेहद
सृष्टि का चक्र फिरता रहता है, एक दिन न मिले दूसरे से। सारी दुनिया की एक्ट बदलती
रहती है। नई सीन चलती रहती है।
गीत:-
जो पिया के
साथ है....
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) अन्तर्मुखी बन अपनी जांच करनी है, जो भी भूलें होती हैं उनका दिल से
पश्चाताप् कर योगबल से माफ करना है। अपनी मेहनत करनी है।
2) बाप की जो राय मिलती है उस पर पूरा चलकर अपने ऊपर आपेही रहम करना है। साक्षी
हो अपने वा दूसरों के पुरुषार्थ को देखना है। कभी भी अपने आपको घाटा नहीं डालना है।
वरदान:-
विश्व कल्याण
की भावना द्वारा हर आत्मा की सेफ्टी के प्लैन बनाने वाले सच्चे रहमदिल भव
वर्तमान समय कई आत्मायें
अपने आपही स्वयं के अकल्याण के निमित्त बन रही हैं, उनके लिए रहमदिल बन कोई प्लैन
बनाओ। किसी भी आत्मा के पार्ट को देखकर स्वयं हलचल में नहीं आओ लेकिन उनकी सेफ्टी
का साधन सोचो, ऐसे नहीं कि यह तो होता रहता है, झाड को तो झडना ही है। नहीं। आये
हुए विघ्नों को खत्म करो। विश्व-कल्याणकारी वा विघ्न-विनाशक का जो टाइटल है - उस
प्रमाण संकल्प, वाणी और कर्म में रहमदिल बन वायुमण्डल को चेंज करने में सहयोगी बनो।
स्लोगन:-
कर्मयोगी वही बन सकता है जो बुद्धि पर अटेन्शन का पहरा देता है।
अव्यक्त इशारे -
संकल्पों की शक्ति जमा कर श्रेष्ठ सेवा के निमित्त बनो
लास्ट में फाइनल
पेपर का क्वेश्चन होगा - सेकण्ड में फुल स्टॉप, इसी में ही नम्बर मिलेंगे। सेकेण्ड
से ज्यादा हो गया तो फेल हो जायेंगे। “एक बाप और मैं'', तीसरी कोई बात न आये। ऐसे
नहीं यह कर लूं, यह देख लूं... यह हुआ, नहीं हुआ। यह क्यों हुआ, यह क्या हुआ - ऐसा
कोई भी संकल्प आया तो फाइनल पेपर में पास नहीं होंगे।