25-05-2025     प्रात:मुरली  ओम् शान्ति 04.09.2005 "बापदादा"    मधुबन


शिक्षा के साथ क्षमा और रहम को अपना लो, दुआयें दो, दुआयें लो तो आपका घर आश्रम बन जायेगा


वरदान:-
भटकती हुई आत्माओं को यथार्थ मंजिल दिखाने वाले चैतन्य लाइट-माइट हाउस भव

किसी भी भटकती हुई आत्मा को यथार्थ मंजिल दिखाने के लिए चैतन्य लाइट-माइट हाउस बनो। इसके लिए दो बातें ध्यान पर रहें -1-हर आत्मा की चाहना को परखना, जैसे योग्य डाक्टर उसे कहा जाता है जो नब्ज को जानता है, ऐसे परखने की शक्ति को सदा यूज़ करना। 2-सदा अपने पास सर्व खजानों का अनुभव कायम रखना। सदा यह लक्ष्य रखना कि सुनाना नहीं है लेकिन सर्व सम्बन्धों का, सर्व शक्तियों का अनुभव कराना है।

स्लोगन:-
दूसरों की करेक्शन करने के बजाए एक बाप से ठीक कनेक्शन रखो।

अव्यक्त इशारे - रूहानी रॉयल्टी और प्युरिटी की पर्सनैलिटी धारण करो

अपना निजी-स्वरूप व वरदानी स्वरूप सदा स्मृति में रहे तो अपवित्रता और विस्मृति का नाम-निशान समाप्त हो जायेगा। विस्मृति व अपवित्रता क्या होती है, अब इसकी अविद्या होनी चाहिए क्योंकि यह संस्कार व स्वरूप आपका नहीं है बल्कि आपके पूर्व जन्म का था। अभी आप ब्राह्मण हो, ये तो शूद्रों के संस्कार व स्वरूप है, ऐसे अपने से भिन्न अर्थात् दूसरे के संस्कार अनुभव होना, इसको कहा जाता है - न्यारा और प्यारा।