25-07-2025        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - सदा एक ही फिक्र में रहो कि हमें अच्छी रीति पढ़कर अपने को राजतिलक देना है, पढ़ाई से ही राजाई मिलती है''

प्रश्नः-
बच्चों को किस हुल्लास में रहना है? दिलशिकस्त नहीं होना है क्यों?

उत्तर:-
सदा यही हुल्लास रहे कि हमें इन लक्ष्मी-नारायण जैसा बनना है, इसका पुरुषार्थ करना है। दिलशिकस्त कभी नहीं होना है क्योंकि यह पढ़ाई बहुत सहज है, घर में रहते भी पढ़ सकते हो, इसकी कोई फीस नहीं है, लेकिन हिम्मत जरूर चाहिए।

गीत:-
तुम्हीं हो माता पिता तुम्हीं हो...

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) अपने लिए स्वयं ही पुरुषार्थ कर ऊंच पद पाना है। पढ़ाई से स्वयं को राज तिलक देना है। ज्ञान को अच्छी रीति धारण कर सदा हर्षित रहना है।

2) ज्ञान तलवार में याद का जौहर भरना है। याद से ही बंधन काटने हैं। कभी भी गन्दे बाइसकोप देख अपने संकल्पों को अपवित्र नहीं बनाना है।

वरदान:-
लौकिक को अलौकिक में परिवर्तन कर सर्व कमजोरियों से मुक्त होने वाले मास्टर सर्वशक्तिवान भव

जो मास्टर सर्वशक्तिवान नॉलेजफुल आत्मायें हैं वे कभी किसी भी कमजोरी वा समस्याओं के वशीभूत नहीं होती क्योंकि वे अमृतवेले से जो भी देखते, सुनते, सोचते या कर्म करते हैं उसको लौकिक से अलौकिक में परिवर्तन कर देते हैं। कोई भी लौकिक व्यवहार निमित्त मात्र करते हुए अलौकिक कार्य सदा स्मृति में रहे तो किसी भी प्रकार के मायावी विकारों के वशीभूत व्यक्ति के सम्पर्क से स्वयं वशीभूत नहीं होंगे। तमोगुणी वायब्रेशन में भी सदा कमल समान रहेंगे। लौकिक कीचड़ में रहते हुए भी उससे न्यारे रहेंगे।

स्लोगन:-
सर्व को सन्तुष्ट करो तो पुरुषार्थ में स्वत:हाई जम्प लग जायेगा।

अव्यक्त इशारे - संकल्पों की शक्ति जमा कर श्रेष्ठ सेवा के निमित्त बनो

संकल्प शक्ति जमा करनी है तो कोई भी बात देखते, सुनते, सेकण्ड में फुलस्टाप लगाने का अभ्यास करो। अगर संकल्पों में क्यों, क्या की क्यू लगा दी, व्यर्थ की रचना रच ली तो उसकी पालना करनी पड़ेगी। संकल्प, समय, एनर्जी उसमें खर्च होती रहेगी इसलिए अब इस व्यर्थ रचना का बर्थ कन्ट्रोल करो तब बेहद सेवा के निमित्त बन सकेंगे।