26-06-2025 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - अभी तुम्हें
निंदा-स्तुति, मान-अपमान, दु:ख-सुख सब कुछ सहन करना है तुम्हारे सुख के दिन अभी
समीप आ रहे हैं''
प्रश्नः-
बाप अपने
ब्राह्मण बच्चों को कौन-सी एक वारनिंग देते हैं?
उत्तर:-
बच्चे कभी भी
बाप से रूठना नहीं। अगर बाप से रूठेंगे तो सद्गति से भी रूठ जायेंगे। बाप वारनिंग
देते हैं - रूठने वालों को बड़ी कड़ी सज़ा मिलेगी। आपस में या ब्राह्मणी से भी रूठे
तो फूल बनते-बनते कांटा बन जायेंगे, इसलिए बहुत-बहुत खबरदार रहो।
गीत:-
धीरज धर मनुवा........
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) किसी भी कारण से पढ़ाई नहीं छोड़नी है। सज़ायें बहुत कड़ी हैं उनसे
बचने के लिए और सब संग तोड़ एक बाप को याद करना है। रूठना नहीं है।
2) ज्ञान इंजेक्शन वा अंजन देने वाला एक बाप है, उस अविनाशी सर्जन से कोई बात
छिपानी नहीं है। बाप को सुनाने से झट सावधानी मिल जायेगी।
वरदान:-
तन की
तन्दरूस्ती, मन की खुशी और धन की समृद्धि द्वारा श्रेष्ठ भाग्यवान भव
संगमयुग पर सदा स्व में
स्थित रहने से तन का कर्मभोग सूली से कांटा हो जाता है, तन का रोग योग में परिवर्तन
कर देते हो इसलिए सदा स्वस्थ हो। मनमनाभव होने के कारण खुशियों की खान से सदा
सम्पन्न हो इसलिए मन की खुशी भी प्राप्त है और ज्ञान धन सब धनों से श्रेष्ठ है।
ज्ञान धन वालों की प्रकृति स्वत: दासी बन जाती है और सर्व संबंध भी एक के साथ हैं,
सम्पर्क भी होलीहंसों से है...इसलिए श्रेष्ठ भाग्यवान का वरदान स्वत: प्राप्त है।
स्लोगन:-
याद और
सेवा दोनों का बैलेन्स ही डबल लॉक है।
अव्यक्त
इशारे-आत्मिक स्थिति में रहने का अभ्यास करो, अन्तर्मुखी बनो
जैसे अनेक जन्म
अपने देह के स्वरूप की स्मृति नेचुरल रही है वैसे ही अपने असली स्वरूप की स्मृति का
अनुभव थोड़ा समय भी नहीं करेंगे क्या? यह पहला पाठ कम्पलीट करो तब अपनी आत्म-अभिमानी
स्थिति द्वारा सर्व आत्माओं को साक्षात्कार कराने के निमित्त बनेंगे।