26-07-2025        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - यह संगमयुग विकर्म विनाश करने का युग है, इस युग में कोई भी विकर्म तुम्हें नहीं करना है, पावन जरूर बनना है''

प्रश्नः-
अतीन्द्रिय सुख का अनुभव किन बच्चों को हो सकता है?

उत्तर:-
जो अविनाशी ज्ञान रत्नों से भरपूर हैं, उन्हें ही अतीन्द्रिय सुख का अनुभव हो सकता है। जो जितना ज्ञान को जीवन में धारण करते हैं उतना साहूकार बनते हैं। अगर ज्ञान रत्न धारण नहीं तो गरीब हैं। बाप तुम्हें पास्ट, प्रेजन्ट, फ्युचर का ज्ञान देकर त्रिकालदर्शी बना रहे हैं।

गीत:-
ओम् नमो शिवाए......

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) इस पुरुषोत्तम मास में अविनाशी ज्ञान रत्नों का दान करना है। अमृतवेले उठ विचार सागर मंथन करना है। श्रीमत पर शरीर निर्वाह करते हुए बाप ने जो होम वर्क दिया है, वह भी जरूर करना है।

2) पुरुषार्थ में कभी रूकावट आये तो बाप को समाचार देकर श्रीमत लेनी है। सर्जन को सब सुनाना है। विकर्म विनाश करने के समय कोई भी विकर्म नहीं करना है।

वरदान:-
अखण्ड योग की विधि द्वारा अखण्ड पूज्य बनने वाली श्रेष्ठ महान आत्मा भव

आजकल जो महान आत्मायें कहलाती हैं उन्हों के नाम अखण्डानंद आदि रखते हैं लेकिन सबमें अखण्ड स्वरूप तो आप हो - आनंद में भी अखण्ड, सुख में भी अखण्ड... सिर्फ संगदोष में न आओ, दूसरे के अवगुणों को देखते, सुनते डोंटकेयर करो तो इस विशेषता से अखण्ड योगी बन जायेंगे। जो अखण्ड योगी हैं वही अखण्ड पूज्य बनते हैं। तो आप ऐसी महान आत्मायें हो जो आधाकल्प स्वयं पूज्य स्वरूप में रहती हो और आधाकल्प आपके जड़ चित्रों का पूजन होता है।

स्लोगन:-
दिव्य बुद्धि ही साइलेन्स की शक्ति का आधार है।

अव्यक्त इशारे - संकल्पों की शक्ति जमा कर श्रेष्ठ सेवा के निमित्त बनो

जो अपनी सूक्ष्म शक्तियों (मन-बुद्धि) को हैंडिल कर सकता है, वह दूसरों को भी हैंडिल कर सकता है इसलिए स्व के ऊपर कन्ट्रोलिंग पावर, रुलिंग पावर हो तो यही यथार्थ हैंडलिंग पावर बन जाती है। चाहे अज्ञानी आत्माओं को सेवा द्वारा हैंडिल करो, चाहे ब्राह्मण-परिवार में स्नेह सम्पन्न, सन्तुष्टता सम्पन्न व्यवहार करो - दोनों में सफल हो जायेंगे।