28-06-2025        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - अपनी उन्नति के लिए रोज़ रात को सोने के पहले अपना पोतामेल देखो, चेक करो - हमने सारे दिन में कोई को दु:ख तो नहीं दिया?''

प्रश्नः-
महान् सौभाग्यशाली बच्चों में कौन-सी बहादुरी होगी?

उत्तर:-
जो महान् सौभाग्यशाली हैं वह स्त्री-पुरुष साथ में रहते भाई-भाई होकर रहेंगे। स्त्री-पुरुष का भान नहीं होगा। पक्के निश्चय बुद्धि होंगे। महान् सौभाग्यशाली बच्चे झट समझ जाते हैं - हम भी स्टूडेन्ट, यह भी स्टूडेन्ट, भाई-बहन हो गये, लेकिन यह बहादुरी चल तब सकती है जब अपने को आत्मा समझें।

गीत:-
मुखड़ा देख ले प्राणी.......

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) सारा दिन मुख से बाबा-बाबा निकलता रहे, कम से कम प्रदर्शनी आदि समझाते समय मुख से हज़ार बार बाबा-बाबा निकले।

2) इन आंखों से सब कुछ देखते हुए, एक बाप की याद हो, आपस में बात करते हुए तीसरे नेत्र द्वारा आत्मा को और आत्मा के बाप को देखने का अभ्यास करना है।

वरदान:-
हर सेकण्ड और संकल्प को अमूल्य रीति से व्यतीत करने वाले अमूल्य रत्न भव

संगमयुग के एक सेकण्ड की भी बहुत बड़ी वैल्यु है। जैसे एक का लाख गुणा बनता है वैसे यदि एक सेकण्ड भी व्यर्थ जाता है तो लाख गुणा व्यर्थ जाता है - इसलिए इतना अटेन्शन रखो तो अलबेलापन समाप्त हो जायेगा। अभी तो कोई हिसाब लेने वाला नहीं है लेकिन थोड़े समय के बाद पश्चाताप होगा क्योंकि इस समय की बहुत वैल्यु है। जो अपने हर सेकण्ड, हर संकल्प को अमूल्य रीति से व्यतीत करते हैं वही अमूल्य रत्न बनते हैं।

स्लोगन:-
जो सदा योगयुक्त हैं वो सहयोग का अनुभव करते विजयी बन जाते हैं।

अव्यक्त इशारे-आत्मिक स्थिति में रहने का अभ्यास करो, अन्तर्मुखी बनो

आत्मा शब्द स्मृति में आने से ही रूहानियत के साथ शुभ-भावना भी आ जाती है। पवित्र दृष्टि हो जाती है। चाहे भल कोई गाली भी दे रहा हो लेकिन यह स्मृति रहे कि यह आत्मा तमोगुणी पार्ट बजा रही है तो उससे ऩफरत नहीं करेंगे, उसके प्रति भी शुभ भावना बनी रहेगी।