29-06-2025 प्रात:मुरली ओम् शान्ति 31.12.2005 "बापदादा" मधुबन
“नये वर्ष में अपने
पुराने संस्कारों को योग अग्नि में भस्म कर ब्रह्मा बाप समान त्याग, तपस्या और सेवा
में नम्बरवन बनो''
वरदान:-
सदाकाल के
अटेन्शन द्वारा विजय माला में पिरोने वाले बहुत समय के विजयी भव
बहुत समय के विजयी,
विजय माला के मणके बनते हैं। विजयी बनने के लिए सदा बाप को सामने रखो - जो बाप ने
किया वही हमें करना है। हर कदम पर जो बाप का संकल्प वही बच्चों का संकल्प, जो बाप
के बोल वही बच्चों के बोल - तब विजयी बनेंगे। यह अटेन्शन सदाकाल का चाहिए तब
सदा-काल का राज्य-भाग्य प्राप्त होगा क्योंकि जैसा पुरुषार्थ वैसी प्रालब्ध है। सदा
का पुरुषार्थ है तो सदा का राज्य-भाग्य है।
स्लोगन:-
सेवा में सदा जी हाज़िर करना - यही प्यार का सच्चा सबूत है।
अव्यक्त इशारे-आत्मिक
स्थिति में रहने का अभ्यास करो, अन्तर्मुखी बनो
जैसे कोई भी व्यक्ति
दर्पण के सामने खड़ा होते ही स्वयं का साक्षात्कार कर लेता है, वैसे आपकी आत्मिक
स्थिति, शक्ति रूपी दर्पण के आगे कोई भी आत्मा आवे तो वह एक सेकेण्ड में स्व स्वरूप
का दर्शन वा साक्षात्कार कर ले। आपके हर कर्म में, हर चलन में रूहानियत की
अट्रेक्शन हो। जो स्वच्छ, आत्मिक बल वाली आत्मायें हैं, वह सबको अपनी ओर आकर्षित
जरूर करती हैं।