30-04-2025        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - बाप तुम्हें पुरूषोत्तम बनाने के लिए पढ़ा रहे हैं, तुम अभी कनिष्ट से उत्तम पुरूष बनते हो, सबसे उत्तम हैं देवतायें''

प्रश्नः-
यहाँ तुम बच्चे कौन-सी मेहनत करते हो जो सतयुग में नहीं होगी?

उत्तर:-
यहाँ देह सहित देह के सब सम्बन्धों को भूल आत्म-अभिमानी हो शरीर छोड़ने में बहुत मेहनत करनी पड़ती है। सतयुग में बिना मेहनत बैठे-बैठे शरीर छोड़ देंगे। अभी यही मेहनत वा अभ्यास करते हो कि हम आत्मा हैं, हमें इस पुरानी दुनिया पुराने शरीर को छोड़ना है, नया लेना है। सतयुग में इस अभ्यास की जरूरत नहीं।

गीत:-
दूर देश का रहने वाला........

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) जैसे ब्रह्मा बाबा ने अपना सब कुछ ट्रांसफर कर फुल पॉवर बाप को दे दी, सोचा नहीं, ऐसे फालो फादर कर 21 जन्मों की प्रालब्ध जमा करनी है।

2) प्रैक्टिस करनी है अन्तकाल में एक बाप के सिवाए और कोई भी चीज़ याद न आये। हमारा कुछ नहीं, सब बाबा का है। अल्फ और बे, इसी स्मृति से पास हो विजयमाला में आना है।

वरदान:-
मन्सा पर फुल अटेन्शन देने वाले चढ़ती कला के अनुभवी विश्व परिवर्तक भव

अब लास्ट समय में मन्सा द्वारा ही विश्व परिवर्तन के निमित्त बनना है इसलिए अब मन्सा का एक संकल्प भी व्यर्थ हुआ तो बहुत कुछ गंवाया, एक संकल्प को भी साधारण बात न समझो, वर्तमान समय संकल्प की हलचल भी बड़ी हलचल गिनी जाती है क्योंकि अब समय बदल गया, पुरूषार्थ की गति भी बदल गई तो संकल्प में ही फुल स्टॉप चाहिए। जब मन्सा पर इतना अटेन्शन हो तब चढ़ती कला द्वारा विश्व परिवर्तक बन सकेंगे।

स्लोगन:-
कर्म में योग का अनुभव होना अर्थात् कर्मयोगी बनना।

अव्यक्त इशारे - “कम्बाइण्ड रूप की स्मृति से सदा विजयी बनो''

“आप और बाप'' - इस कम्बाइन्ड रुप का अनुभव करते, सदा शुभ भावना, श्रेष्ठ कामना, श्रेष्ठ वाणी, श्रेष्ठ दृष्टि, श्रेष्ठ कर्म द्वारा विश्व कल्याणकारी स्वरुप का अनुभव करो तो सेकण्ड में सर्व समस्याओं का समाधान कर सकेंगे। सदा एक स्लोगान याद रखना - “न समस्या बनेंगे न समस्या को देख डगमग होंगे, स्वयं भी समाधान स्वरुप रहेंगे और दूसरों को भी समाधान देंगे।'' यह स्मृति सफलता स्वरूप बना देगी।