30-06-2025        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - बाप आये हैं तुम्हें ज्ञान से शुद्ध खुशबूदार फूल बनाने, तुम्हें कांटा नहीं बनना है, कांटों को इस सभा में नहीं लाना है''

प्रश्नः-
जो बच्चे याद की यात्रा में मेहनत करते हैं उनकी निशानी क्या होगी?

उत्तर:-
याद की मेहनत करने वाले बच्चे बहुत खुशी में रहेंगे। बुद्धि में रहेगा कि अभी हम वापिस लौट रहे हैं। फिर हमें खुशबूदार फूलों के बगीचे में जाना है। तुम याद की यात्रा से खुशबूदार बनते हो और दूसरों को भी बनाते हो।

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) रूप-बसन्त बन अविनाशी ज्ञान रत्नों का दान कर महादानी बनना है। जो पढ़ाई पढ़ते हो वह दूसरों को भी पढ़ानी है।

2) किसी भी बात में मूँझना वा डरना नहीं है, अपनी सम्भाल करनी है। अपने आपसे पूछना है मैं किस प्रकार का फूल हूँ। मेरे में कोई बदबू तो नहीं है?

वरदान:-
दृढ़ संकल्प द्वारा कमजोरियों रूपी कलियुगी पर्वत को समाप्त करने वाले समर्थी स्वरूप भव

दिलशिकस्त होना, किसी भी संस्कार वा परिस्थिति के वशीभूत होना, व्यक्ति वा वैभवों के तरफ आकर्षित होना - इन सब कमजोरियों रूपी कलियुगी पर्वत को दृढ़ संकल्प की अंगुली देकर सदाकाल के लिए समाप्त करो अर्थात् विजयी बनो। विजय हमारे गले की माला है - सदा इस स्मृति से समर्थी स्वरूप बनो। यही स्नेह का रिटर्न है। जैसे साकार बाप ने स्थिति का स्तम्भ बनकर दिखाया ऐसे फालो फादर कर सर्वगुणों के स्तम्भ बनो।

स्लोगन:-
साधन सेवाओं के लिए हैं, आरामपसन्द बनने के लिए नहीं।

अव्यक्त इशारे-आत्मिक स्थिति में रहने का अभ्यास करो, अन्तर्मुखी बनो

जैसे एटम बम एक स्थान पर छोड़ने से चारों ओर उसके अंश फैल जाते हैं - वह एटम बम है और यह आत्मिक बम है। इसका प्रभाव अनेक आत्माओं को आकर्षित करेगा और सहज ही प्रजा की वृद्धि हो जायेगी इसलिए संगठित रूप में आत्मिक स्वरूप के अभ्यास को बढ़ाओ, स्मृति-स्वरूप बनो तो वायुमण्डल पॉवरफुल हो जायेगा।