07-09-2025     प्रात:मुरली  ओम् शान्ति 31.12.2006 "बापदादा"    मधुबन


“दृढ़ता और परिवर्तन शक्ति से कारण व समस्या शब्द को विदाई दे निवारण व समाधान स्वरूप बनो''


आज नवयुग रचता बापदादा अपने चारों ओर के बच्चों को नया वर्ष और नवयुग दोनों की मुबारक देने आये हैं। चारों ओर के बच्चे भी मुबारक देने पहुंच गये हैं। क्या सिर्फ नये वर्ष की मुबारक देने आये हो वा नवयुग की भी मुबारक देने आये हो? जैसे नये वर्ष की खुशी होती है और खुशियां देते हैं। तो आप ब्राह्मण आत्माओं को नव-युग भी इतना याद है? नवयुग नयनों के सामने आ गया है? जैसे नये वर्ष के लिए दिल में आ रहा है कि आया कि आया, ऐसे ही अपने नवयुग के लिए इतना अनुभव करते हो कि आया कि आया? उस नवयुग की स्मृति इतनी समीप आती है? वह शरीर रूपी अपनी ड्रेस चमकती हुई सामने नज़र आ रही है? बापदादा डबल मुबारक देते हैं। बच्चों के मन में, नयनों में नवयुग की सीन सीनरियां इमर्ज हैं, कितना अपने नवयुग में तन-मन-धन-जन श्रेष्ठ है, सर्व प्राप्तियों के भण्डार हैं। खुशी है कि आज पुरानी दुनिया में हैं और अभी-अभी अपने राज्य में होंगे! याद है अपना राज्य? जैसे आज डबल कार्य के लिए आये हो, पुराने को विदाई देने और नये वर्ष को बधाई देने आये हो। तो सिर्फ पुराने वर्ष को विदाई देने आये हो वा पुरानी दुनिया के पुराने संस्कार, पुराने स्वभाव, पुरानी चाल उसको भी विदाई देने आये हो? पुराने वर्ष को विदाई देना तो सहज है, लेकिन पुराने संस्कार को विदाई देना भी इतना सहज लगता है? क्या समझते हो? माया को भी विदाई देने आये हो वा वर्ष को विदाई देने आये हैं? विदाई देना है ना! या माया से थोड़ा प्यार है? थोड़ा-थोड़ा रखने चाहते हो?

बापदादा आज चारों ओर के बच्चों से पुराने संस्कार स्वभाव से विदाई दिलाने चाहते हैं। दे सकते हो? हिम्मत है कि सोचते हो कि विदाई देने चाहते हैं लेकिन फिर माया आ जाती है! क्या आज के दिन दृढ़ संकल्प की शक्ति से पुराने संस्कार को विदाई दे नये युग के संस्कार को, जीवन को बधाई देने की हिम्मत है? है हिम्मत? जो समझते हैं हो सकता है, हो सकता है, वा होना ही है, है हिम्मत वाले? जो समझते हैं हिम्मत है वह हाथ उठाओ। हिम्मत है? अच्छा जिन्होंने नहीं उठाया है वह सोच रहे हैं? डबल फॉरेनर्स ने उठाया हाथ, जिसमें हिम्मत है वह हाथ उठाओ, सभी नहीं। अच्छा, डबल फॉरेनर्स तो होशियार हैं। डबल नशा है इसीलिए। देखना, बापदादा हर मास रिजल्ट देखेगा। बापदादा को खुशी है कि हिम्मत वाले बच्चे हैं। चतुराई से जवाब देने वाले बच्चे हैं। क्यों? क्योंकि जानते हैं कि एक कदम हमारी हिम्मत का और हजारों कदम बाप की मदद का तो मिलना ही है। अधिकारी हो। हजार कदम मदद के अधिकारी हो। सिर्फ हिम्मत को माया हिलाने की कोशिश करती है। बापदादा देखते हैं कि हिम्मत अच्छी रखते हैं, बापदादा दिल से मुबारक भी देते हैं लेकिन हिम्मत रखते फिर साथ में अपने अन्दर ही व्यर्थ संकल्प उत्पन्न कर लेते, कर तो रहे हैं, होना तो चाहिए, करेंगे तो जरूर, पता नहीं.... पता नहीं का संकल्प आना यह हिम्मत को कमजोर कर देता है। तो तो आ जाता है ना, करते तो हैं, करना तो है.. आगे उड़ना तो है..। यह हिम्मत को हिला देते हैं। तो नहीं सोचो, करना ही है। क्यों नहीं होगा! जब बाप साथ है, तो बाप के साथ में तो-तो नहीं आ सकता।

तो इस नये वर्ष में नवीनता क्या करेंगे? हिम्मत के पांव को मजबूत बनाओ। ऐसी हिम्मत का पांव मजबूत बनाओ जो माया खुद हिल जाये लेकिन पांव नहीं हिलें। तो नये वर्ष में नवीनता करेंगे, या जैसे कभी हिलते कभी मजबूत रहते, ऐसे तो नहीं करेंगे ना! आप सभी का कर्तव्य वा आक्यूपेशन क्या है? अपने को क्या कहलाते हो? याद करो। विश्व कल्याणी, विश्व परिवर्तक, यह आपका आक्यूपेशन है ना! तो बापदादा को कभी-कभी मीठी-मीठी हंसी आती है। विश्व परिवर्तक टाइटिल तो है ना! विश्व परिवर्तक हो? या लण्डन परिवर्तक, इण्डिया परिवर्तक? विश्व परिवर्तक हो ना, सभी? चाहे गांव में रहते हैं चाहे लण्डन या अमेरिका में रहते हैं लेकिन विश्व कल्याणकारी हो ना? हो तो कांध हिलाओ। पक्का ना! कि 75 परसेन्ट हो। 75 परसेन्ट विश्व कल्याणी और 25 परसेन्ट माफ है, ऐसे? आपकी चैलेन्ज क्या है? प्रकृति को भी चैलेन्ज की है कि प्रकृति को भी परिवर्तन करना ही है। तो अपना आक्यूपेशन याद करो। कभी-कभी अपने लिए भी सोचते हो - करना तो नहीं चाहिए लेकिन हो जाता है। तो विश्व परिवर्तक, प्रकृति परिवर्तक, स्व परिवर्तक नहीं बन सकते? शक्ति सेना क्या सोचते हो? इस वर्ष में अपना आक्यूपेशन विश्व परिवर्तक का याद रखना। स्व प्रति वा अपने ब्राह्मण परिवार प्रति भी परिवर्तक बनना क्योंकि पहले तो चैरिटी बिगन्स एट होम है ना! तो अपने आक्यूपेशन का प्रैक्टिकल स्वरूप प्रत्यक्ष करेंगे ना! स्व परिवर्तन जो स्वयं भी चाहते हो और बापदादा भी चाहते हैं, जानते तो हो ना! बापदादा पूछते हैं कि आप सभी बच्चों का लक्ष्य क्या है? तो मैजॉरिटी एक ही जवाब देते हैं कि बाप समान बनना है। ठीक है ना! बाप समान बनना ही है ना, कि देखेंगे, सोचेंगे...! तो बाप भी यही चाहते हैं कि इस नये वर्ष में 70 वर्ष पूरे हो रहे हैं, (2006 में) अब 71 वर्ष में कोई कमाल करके दिखाओ। सब इतनी सेवा के उमंग में भिन्न-भिन्न प्रोग्राम बनाते रहते हैं, सफल भी होते रहते हैं, बापदादा को खुशी भी होती है कि मेहनत जो करते हैं उसकी सफलता मिलती है। व्यर्थ नहीं जाती है लेकिन सेवा किसलिए करते हो? तो क्या जवाब देते हैं? बाप को प्रत्यक्ष करने के लिए। तो बाप आज बच्चों से प्रश्न पूछते हैं, कि बाप को प्रत्यक्ष तो करना ही है, करेंगे ही। लेकिन बाप को प्रत्यक्ष करने के पहले स्व को प्रत्यक्ष करो। बोलो, शिव शक्तियां यह वर्ष शिव शक्ति के रूप में स्व को प्रत्यक्ष करेंगी? करेंगी? जनक बोलो? करेंगे? (करना ही है) साथी, पहली लाइन दूसरी लाइन में बैठी हुई टीचर्स हाथ उठाओ जो इस वर्ष में करके दिखायेंगे। करेंगे नहीं, करके दिखाना ही है। अच्छा - सभी टीचर्स ने उठाया या कोई ने नहीं उठाया।

अच्छा - मधुबन वाले। करना ही है, करना पड़ेगा क्योंकि मधुबन तो नजदीक है ना। तारीख नोट कर देना, 31 तारीख है। टाइम भी नोट करना (9 बजकर 20 मिनट)। और पाण्डव सेना, पाण्डवों को क्या दिखाना है? विजयी पाण्डव। कभी-कभी के विजयी नहीं, है ही विजयी पाण्डव। तो इस वर्ष में ऐसा बनकर दिखाना या कहेंगे क्या करें? माया आ गई ना, चाहते नहीं थे आ गई! बापदादा ने पहले भी कहा है - माया अपना लास्ट टाइम तक आना बन्द नहीं करेगी। लेकिन माया का काम है आना और आपका काम क्या है? विजयी बनना। तो यह नहीं सोचो, चाहते थोड़ेही हैं लेकिन माया आ जाती है। हो जाता है...। अब बापदादा इस वर्ष के साथ, इन शब्दों को विदाई दिलाने चाहते हैं। 12 बजे इस वर्ष को विदाई देंगे ना! तो जो घण्टे बजाओ ना, आज जब घण्टे बजाओ तो किसका घण्टा बजायेंगे? दिन का, वर्ष का या माया की विदाई का घण्टा बजाना। दो बातें हैं - एक तो परिवर्तन शक्ति, उसकी कमजोरी है। प्लैन बहुत अच्छे बनाते हो, ऐसे करेंगे, ऐसे करेंगे, ऐसे करेंगे...। बापदादा भी खुश हो जाते हैं, बहुत अच्छे प्लैन बनाये हैं लेकिन परिवर्तन शक्ति की कमी होने के कारण कुछ परिवर्तन होता है, कुछ रह जाता है। और दूसरी कमी है - दृढ़ता की। संकल्प अच्छे-अच्छे करते हो, आज भी देखो कितने कार्ड, कितने अंजाम, कितने वायदे देखे, बाप-दादा ने देखा है। बहुत पत्र अच्छे-अच्छे आये हैं। (कार्ड पत्र आदि सब स्टेज पर सजे हुए रखे हैं) तो करेंगे, दिखायेंगे, होना ही है, बनना ही है, पदम-पदमगुणा यादप्यार, सब बापदादा के पास पहुंचा है। आप जो सम्मुख बैठे हो, उन्हों के दिल का आवाज भी बाप के पास पहुंचा। लेकिन अभी बापदादा इन दो शक्तियों के ऊपर अण्डरलाइन करा रहा है। एक दृढ़ता की कमी आ जाती है। कमी का कारण, अलबेलापन, दूसरे को देखने का। हो जायेगा, कर तो रहे हैं, करेंगे, जरूर करेंगे...।

बापदादा यही चाहते हैं कि इस वर्ष एक शब्द को सदा के लिए विदाई दो। वह कौन सा? बतायें, बोलें? देनी पड़ेगी। इस वर्ष बापदादा कारण शब्द को विदाई दिलाने चाहते हैं। निवारण हो, कारण खत्म। समस्या खत्म, समाधान स्वरूप। चाहे स्वयं का कारण हो, चाहे साथी का कारण हो, चाहे संगठन का कारण हो, चाहे कोई सरकमस्टांश का कारण हो, ब्राह्मणों की डिक्शनरी में कारण शब्द, समस्या शब्द परिवर्तन हो, समाधान और निवारण हो जाए क्योंकि बहुतों ने आज अमृतवेले भी बापदादा से रूहरिहान में यही बातें की, कि नये वर्ष में कुछ नवीनता करें। तो बापदादा चाहते हैं कि यह नया वर्ष ऐसा मनाओ जो यह दो शब्द समाप्त हो जाएं। पर-उपकारी बनो। स्वयं कारण बनते हैं या दूसरा कोई कारण बनता है, लेकिन पर-उपकारी आत्मा बन, रहमदिल आत्मा बन, शुभ भावना, शुभ कामना के दिल वाले बन सहयोग दो, स्नेह लो।

तो इस नये वर्ष को क्या नाम देंगे? पहले हर वर्ष को नाम देते थे, याद है ना? तो बापदादा इस वर्ष को श्रेष्ठ शुभ संकल्प, दृढ़ संकल्प, स्नेह सहयोग संकल्प वर्ष - यह नाम नहीं, लेकिन ऐसा देखने चाहते हैं। दृढ़ता की शक्ति, परिवर्तन की शक्ति को सदा साथी बनाओ। कोई कुछ भी निगेटिव दे लेकिन जैसे आप दूसरों को कोर्स कराते हो निगेटिव को पॉजिटिव में बदली करो, तो क्या आप स्वयं निगेटिव को पॉजिटिव में चेन्ज नहीं कर सकते? दूसरा परवश होता है, परवश पर रहम किया जाता है। आपके जड़ चित्र, आपके ही चित्र है ना। भारत में डबल फॉरेनर्स के भी चित्र हैं ना, जो पूजे जाते हैं। दिलवाला मन्दिर में तो अपना चित्र देखा है ना! बहुत अच्छा। जब आपके जड़ चित्र रहमदिल हैं, कोई भी चित्र के आगे जाते हैं तो क्या मांगते हैं? दया करो, कृपा करो, रहम करो, मर्सी, मर्सी... तो सदा पहले अपने ऊपर रहम करो, फिर ब्राह्मण परिवार के ऊपर रहम करो, अगर कोई परवश है, संस्कार के वश है, कमजोर है, उस समय बेसमझ हो जाता है, तो क्रोध नहीं करो। क्रोध की रिपोर्ट ज्यादा आती है। क्रोध नहीं तो उसके बाल बच्चों से बहुत प्यार है। रोब आता है, यह रोब क्रोध का बच्चा है। तो जैसे परिवार में होता है ना, बड़े बच्चों से प्यार कम हो जाता है और पोत्रे धोत्रों से प्यार ज्यादा होता है। तो क्रोध बाप है और रोब और उल्टा नशा, नशे भी भिन्न-भिन्न होते हैं, बुद्धि का नशा, ड्युटी का नशा, सेवा के कोई विशेष कर्तव्य का नशा, यह रोब होता है। तो दयालु बनो, कृपालु बनो। देखो, नये वर्ष में एक दो का मुख मीठा भी करते हैं, बधाई देंगे, तो मुख मीठा भी कराते हैं ना! तो सारा वर्ष कडुवापन नहीं दिखाना। वह मुख मीठा करते, आप सिर्फ मुख मीठा नहीं कराते लेकिन आपका मुखड़ा भी मीठा हो। सदा अपना मुखड़ा रूहानियत के स्नेह का हो, मुस्कराने का हो। कडुवा-पन नहीं। मैजॉरिटी जब बापदादा से रूहरिहान करते हैं ना तो अपनी सच्ची बात सुना देते हैं और तो कोई सुनता ही नहीं है। तो मैजॉरिटी की रिजल्ट में और विकारों से क्रोध या क्रोध के बाल बच्चे की रिपोर्ट ज्यादा है।

तो बापदादा इस नये वर्ष में इस कडुवाइस को निकालने चाहते हैं। कईयों ने अपना वायदा भी लिखा है कि चाहते नहीं हैं लेकिन आ जाता है। तो बापदादा ने कारण सुनाया कि दृढ़ता की कमी है। बाप के आगे संकल्प द्वारा वचन भी लेते हैं, लेकिन दृढ़ता ऐसी शक्ति है जो दुनिया वाले भी कहते हैं शरीर चला जाए लेकिन वचन नहीं जाए। मरना पड़े, झुकना पड़े, बदलना पड़े, सहन करना पड़े, लेकिन वचन में दृढ़ रहने वाला हर कदम में सफलतामूर्त है क्योंकि दृढ़ता सफलता की चाबी है। यह चाबी सभी के पास है, लेकिन समय पर गुम हो जाती है। तो क्या विचार है?

नये वर्ष में नवीनता करनी ही है - स्व के, सहयोगियों के और विश्व के परिवर्तन की। पीछे वाले सुन रहे हैं? तो करना है ना, यह नहीं सोचना पहले तो बड़े करेंगे ना, हम तो छोटे हैं ना। छोटे समान बाप। हर एक बच्चा बाप के अधिकारी है, चाहे पहले बारी भी आये हो लेकिन मेरा बाबा कहा तो अधिकारी हो। श्रीमत पर चलने के भी अधिकारी और सर्व प्राप्तियों के भी अधिकारी। टीचर्स आपस में प्रोग्राम बनाना, फॉरेन वाले भी बनाना, भारत वाले भी मिलकर बनाना। बाप-दादा प्राइज़ देंगे, कौन सा ज़ोन, चाहे फॉरेन हो, चाहे इण्डिया हो, कौन सा ज़ोन नम्बरवन लेता है, उसको गोल्डन कप देंगे। सिर्फ अपने को नहीं बनाना, साथियों को भी बनाना क्योंकि बापदादा ने देखा कि बच्चों के परिवर्तन बिना विश्व का परिवर्तन भी ढीला हो रहा है। और आत्मायें नये-नये प्रकार के दु:ख के पात्र बन रही हैं। दु:ख अशान्ति के नये नये कारण बन रहे हैं। तो बाप अभी बच्चों के दु:ख की पुकार सुनते हुए परिवर्तन चाहते हैं। तो हे मास्टर सुखदाता बच्चे, दु:खियों पर रहम करो। भक्त भी भक्ति कर करके थक गये हैं। भक्तों को भी मुक्ति का वर्सा दिलाओ। रहम आता है कि नहीं? अपनी ही सेवा में, अपनी ही दिनचर्या में बिजी हैं? निमित्त हो, ऐसे नहीं बड़े निमित्त हैं, एक एक बच्चा जिसने मेरा बाबा कहा है, माना है वह सब निमित्त हैं। तो नये वर्ष में एक दो को गिफ्ट भी देते हैं ना। तो आप भक्तों की आश पूरी करो, उसको गिफ्ट दिलाओ। दु:खियों को दु:ख से छुड़ाओ, मुक्तिधाम में शान्ति दिलाओ - यह गिफ्ट दो। ब्राह्मण परिवार में हर आत्मा को दिल के स्नेह और सहयोग की गिफ्ट दो। आपके पास गिफ्ट का स्टॉक है? स्नेह है? सहयोग है? मुक्ति दिलाने की शक्ति है? जिसके पास स्टॉक बहुत है, वह हाथ उठाओ। है स्टॉक। स्टॉक कम है? पहली लाइन वालों के पास स्टॉक कम है क्या? यह बृजमोहन हाथ नहीं उठा रहा है। स्टॉक तो है ना, स्टॉक है? सभी ने उठाया? स्टॉक है? तो स्टॉक रखके क्या कर रहे हो? जमा करके रखा है! टीचर्स स्टॉक है ना? तो दो ना, फ्राकदिल बनो। मधुबन वाले क्या करेंगे? है स्टॉक, मधुबन में है? मधुबन में तो चारों ओर स्टॉक भरा हुआ है। तो अभी दाता बनो, सिर्फ जमा नहीं करो। दाता बनो, देते जाओ। ठीक है। अच्छा।

अभी हर एक अपने को मन के मालिक अनुभव कर एक सेकण्ड में मन को एकाग्र कर सकते हो? आर्डर कर सकते हो? एक सेकण्ड में अपने स्वीट होम में पहुंच जाओ। एक सेकण्ड में अपने राज्य स्वर्ग में पहुंच जाओ। मन आपका आर्डर मानता है वा हलचल करता है? मालिक अगर योग्य है, शक्तिवान है, तो मन नहीं माने, हो नहीं सकता। तो अभी अभ्यास करो एक सेकण्ड में सभी अपने स्वीट होम में पहुंच जाओ। यह अभ्यास सारे दिन में बीच-बीच में करने का अटेन्शन रखो। मन की एकाग्रता स्वयं को भी और वायुमण्डल को भी पावरफुल बनाती है। अच्छा।

चारों ओर के अति सर्व के स्नेही, सर्व के सहयोगी श्रेष्ठ आत्माओं को, चारों ओर के विजयी बच्चों को, चारों ओर के परिवर्तन शक्तिवान बच्चों को, चारों ओर के सदा स्वयं को प्रत्यक्ष कर बाप को प्रत्यक्ष करने वाले बच्चों को, सदा समाधान स्वरूप विश्व परिवर्तक बच्चों को बाप-दादा का यादप्यार और दिल की दुआयें स्वीकार हों। साथ में सभी बच्चों को जो बाप के भी सिरताज हैं, ऐसे सिरताज बच्चों को बापदादा की नमस्ते।

वरदान:-
मुरलीधर की मुरली से प्रीत रखने वाले सदा शक्तिशाली आत्मा भव

जिन बच्चों का पढ़ाई अर्थात् मुरली से प्यार है उन्हें सदा शक्तिशाली भव का वरदान मिल जाता है, उनके सामने कोई भी विघ्न ठहर नहीं सकता। मुरलीधर से प्रीत रखना माना उनकी मुरली से प्रीत रखना। यदि कोई कहे कि मुरलीधर से तो मेरी बहुत प्रीत है लेकिन पढ़ाई के लिए टाइम नहीं है, तो बाप नहीं मानते क्योंकि जहाँ लगन होती है वहाँ कोई भी बहाना नहीं होता। पढ़ाई और परिवार का प्यार किला बन जाता है, जिससे वो सेफ रहते हैं।

स्लोगन:-
हर परिस्थिति में स्वयं को मोल्ड कर लो तो रीयल गोल्ड बन जायेंगे।

अव्यक्त इशारे - अब लगन की अग्नि को प्रज्वलित कर योग को ज्वाला रूप बनाओ

योग को ज्वाला रूप शक्तिशाली बनाने के लिए योग में बैठते समय समाने की शक्ति यूज़ करो। सेवा के संकल्प भी समा जाएं इतनी शक्ति हो जो स्टॉप कहा और स्टॉप हो जाए। फुल ब्रेक लगे, ढीली ब्रेक नहीं। अगर एक सेकण्ड के बजाए ज्यादा समय लग जाता है तो समाने की शक्ति कमजोर कहेंगे।