20-07-2025 प्रात:मुरली ओम् शान्ति 25.02.2006 "बापदादा" मधुबन
“आज उत्सव के दिन मन
के उमंग-उत्साह द्वारा माया से मुक्त रहने का व्रत लो, मर्सीफुल बन मास्टर
मुक्तिदाता बनो, साथ चलना है तो समान बनो''
आज चारों ओर के अति
स्नेही बच्चों की उमंग-उत्साह भरी मीठी-मीठी यादप्यार और बधाईयां पहुंच रही हैं। हर
एक के मन में बापदादा के जन्म दिन की उमंग भरी बधाईयां समाई हुई हैं। आप सभी भी
विशेष आज बधाईयां देने आये हो वा लेने आये हो? बापदादा भी हर एक सिकीलधे लाडले बच्चों
को, बच्चों के जन्म दिन की पदम-पदम-पदमगुणा बधाईयां दे रहे हैं। आज के दिन की
विशेषता जो सारे कल्प में नहीं है वह आज है जो बाप और बच्चों का जन्म दिन साथ-साथ
है। इसको कहा जाता है विचित्र जयन्ती। सारे कल्प में चक्र लगाके देखो ऐसी जयन्ती कभी
मनाई है! लेकिन आज बापदादा बच्चों की जयन्ती मना रहे हैं और बच्चे बापदादा की जयन्ती
मना रहे हैं। नाम तो शिव जयन्ती कहते हैं लेकिन यह ऐसी जयन्ती है जो इस एक जयन्ती
में बहुत जयन्ती समाई हुई हैं। आप सभी को भी बहुत खुशी हो रही है ना कि हम बाप को
मुबारक देने आये हैं और बाप हमको मुबारक देने आये हैं क्योंकि बाप और बच्चों का
इकट्ठा जन्म दिन होना यह अति प्यार की निशानी है। बाप बच्चों के सिवाए कुछ कर नहीं
सकते और बच्चे बाप के सिवाए नहीं कर सकते। जन्म भी इकट्ठा है और संगमयुग में रहना
भी इकट्ठा है क्योंकि बाप और बच्चे कम्बाइन्ड हैं। विश्व कल्याण का कार्य भी इकट्ठा
है, अकेला बाप भी नहीं कर सकता, बच्चे भी नहीं कर सकते, साथ-साथ है और बाप का वायदा
है - साथ रहेंगे, साथ चलेंगे। साथ चलेंगे ना! वायदा है ना! इतना प्यार बाप और बच्चों
का देखा है? देखा है वा अनुभव कर रहे हो? इसलिए इस संगमयुग का महत्व है और इसी मिलन
का यादगार भिन्न-भिन्न मेलों में बनाया हुआ है। इस शिव जयन्ती के दिन भक्त पुकार रहे
हैं - आओ। कब आयेंगे, कैसे आयेंगे.. यही सोच रहे हैं और आप मना रहे हैं।
बापदादा को भक्तों के
ऊपर स्नेह भी है, रहम भी आता है, कितना कुछ प्रयत्न करते हैं, ढूंढते रहते। आपने
ढूंढा? या बाप ने आपको ढूंढा? किसने ढूंढ़ा? आपने ढूंढा? आप तो फेरे ही पहनते रहे।
लेकिन बाप ने देखो बच्चों को ढूंढ लिया, भल बच्चे किसी भी कोनों में खो गये। आज भी
देखो भारत के अनेक राज्यों से तो आये हो लेकिन विदेश भी कम नहीं है, 100 देशों से आ
गये हैं। और मेहनत क्या की? बाप का बनने में मेहनत क्या की? मेहनत की? की है मेहनत?
हाथ उठाओ जिसने बाप को ढूंढने में मेहनत की है। भक्ति में किया लेकिन जब बाप ने
ढूंढ लिया, फिर मेहनत की? की मेहनत? सेकण्ड में सौदा कर दिया। एक शब्द में सौदा हो
गया। वह एक शब्द क्या? “मेरा''। बच्चों ने कहा “मेरा बाबा'', बाप ने कहा “मेरे बच्चे''।
हो गये। सस्ता सौदा है या मुश्किल? सस्ता है ना! जो समझते हैं थोड़ा-थोड़ा मुश्किल
है वह हाथ उठाओ। कभी-कभी तो मुश्किल लगता है ना! या नहीं? है सहज लेकिन अपनी
कमजोरियां मुश्किल अनुभव कराती हैं।
बापदादा देखते हैं
भक्त भी जो सच्चे भक्त हैं, स्वार्थी भक्त नहीं, सच्चे भक्त, आज के दिन बड़े प्यार
से व्रत रखते हैं। आप सबने भी व्रत तो लिया है, वह थोड़े दिनों का व्रत रखते हैं और
आप सबने ऐसा व्रत रखा है जो अभी का यह एक व्रत 21 जन्म कायम रहता है। वह हर वर्ष
मनाते हैं, व्रत रखते हैं, आप कल्प में एक बार व्रत लेते हो जो 21 जन्म न मन से
व्रत रखना पड़ता, न तन से व्रत रखना पड़ता है। व्रत तो आप भी लेते हो, कौन सा व्रत
लिया है? पवित्र वृत्ति, दृष्टि, कृति, पवित्र जीवन का व्रत लिया है। जीवन ही
पवित्र बन गई। पवित्रता सिर्फ ब्रह्मचर्य व्रत की नहीं, लेकिन जीवन में आहार,
व्यवहार, संसार, संस्कार सब पवित्र। ऐसा व्रत लिया है ना? लिया है? कांध हिलाओ। लिया
है? पक्का लिया है? पक्का या थोड़ा-थोड़ा कच्चा? अच्छा, एक महाभूत काम, उसका व्रत
लिया है या और चार का भी लिया है? ब्रह्मचारी तो बने लेकिन चार जो पीछे हैं, उसका
भी व्रत लिया है? क्रोध का व्रत लिया है कि वह छूट है? क्रोध करने की छुट्टी मिली
है? दूसरा नम्बर है ना तो कोई हर्जा नहीं, ऐसे तो नहीं? जैसे महा भूत को, महाभूत
समझकर मन-वाणी-कर्म में व्रत पक्का लिया है, ऐसे ही क्रोध का भी व्रत लिया है? जो
समझते हैं हमने क्रोध का भी व्रत लिया है, बाल बच्चे पीछे भी हैं, लोभ मोह अहंकार
लेकिन बापदादा आज क्रोध का पूछ रहे हैं, जिसने क्रोध विकार का पूर्ण व्रत लिया है,
मन्सा में भी क्रोध नहीं, दिल में भी क्रोध की फीलिंग नहीं, ऐसा है? आज शिव जयन्ती
है ना! तो भक्त व्रत रखेंगे तो बापदादा भी व्रत तो पूछेंगे ना! जो समझते हैं कि
स्वप्न में भी क्रोध का अंश आ नहीं सकता, वह हाथ उठाओ। आ नहीं सकता। है? आता नहीं
है? नहीं आता है? (कुछेक ने हाथ उठाया) अच्छा, जिन्होंने हाथ उठाया उनका फोटो निकालो,
क्योंकि बापदादा आपके हाथ उठाने से नहीं मानेगा, आपके साथियों से भी सर्टीफिकेट
लेंगे फिर प्राइज़ देंगे। अच्छी बात है क्योंकि बापदादा ने देखा कि क्रोध का अंश भी
होता है, ईर्ष्या, जैलसी यह भी क्रोध के बाल बच्चे हैं। लेकिन अच्छा है हिम्मत
जिन्होंने रखी है, उनको बापदादा अभी तो मुबारक दे रहे हैं लेकिन सर्टीफिकेट के बाद
में फिर प्राइज़ देंगे क्योंकि बाप-दादा ने जो होमवर्क दिया, उसकी रिजल्ट भी बापदादा
देख रहे हैं।
आज बर्थ डे मना रहे
हो, तो बर्थ डे पर क्या किया जाता है? एक तो केक काटते हैं, तो अभी दो मास तो हो गये,
अभी एक मास रहा है, इस दो मास में आपने व्यर्थ संकल्प का केक काटा? वह केक तो बहुत
सहज काट लेते हो ना, आज भी काटेंगे। लेकिन वेस्ट थॉट्स का केक काटा? काटना तो पड़ेगा
ना! क्योंकि साथ चलना है, यह तो पक्का वायदा है ना! कि साथ हैं, साथ चलेंगे। साथ
चलना है तो समान तो बनना पड़ेगा ना! अगर थोड़ा बहुत रह भी गया हो, दो मास तो पूरे
हो गये, तो आज के दिन बर्थ डे मनाने कहाँ-कहाँ से आये हो। प्लेन में भी आये हो,
ट्रेन में भी आये हो, कारों में भी आये हो, बापदादा को खुशी है कि भाग-भाग करके आये
हो। लेकिन बर्थ डे पर पहले गिफ्ट भी देते हैं, तो जो एक मास रहा हुआ है, होली भी आने
वाली है। होली में भी कुछ जलाया ही जाता है। तो थोड़ा बहुत जो वेस्ट थॉट्स बीज हैं,
अगर बीज रहा हुआ होगा तो कभी तना भी निकल आयेगा, कभी शाखा भी निकल आयेगी, तो क्या
आज के उत्सव के दिन मन के उमंग-उत्साह से, (मन का उमंग-उत्साह, मुख का नहीं मन का,
मन के उमंग-उत्साह से) जो थोड़ा बहुत रह गया है, चाहे मन्सा में, चाहे वाणी में,
चाहे सम्बन्ध-सम्पर्क में, क्या आज बाप के बर्थ डे पर बाप को यह गिफ्ट दे सकते हो?
दे सकते हो मन के उमंग-उत्साह से? फायदा तो आपका है, बाप को तो देखना है। जो उमंग
उत्साह से, हिम्मत रखते हैं, करके ही दिखायेंगे, बेस्ट बनके दिखायेंगे, वह हाथ उठाओ।
छोड़ना पड़ेगा, सोच लो। बोल में भी नहीं। सम्बन्ध-सम्पर्क में भी नहीं। है हिम्मत?
हिम्मत है? मधुबन वालों में भी है, फॉरेन वालों में भी है, भारतवासियों में भी है
क्योंकि बापदादा का प्यार है ना, तो बापदादा समझते हैं सब इकट्ठे चलें, कोई रह नहीं
जाये। जब वायदा किया है, साथ चलेंगे, तो समान तो बनना ही पड़ेगा। प्यार है ना!
मुश्किल से तो नहीं हाथ उठाया?
बापदादा इस संगठन का,
ब्राह्मण परिवार का बाप समान मुखड़ा देखने चाहते हैं। सिर्फ दृढ़ संकल्प की हिम्मत
करो, बड़ी बात नहीं है लेकिन सहनशक्ति चाहिए, समाने की शक्ति चाहिए। यह दो शक्तियां,
जिसमें सहनशक्ति है, समाने की शक्ति है, वह क्रोधमुक्त सहज हो सकता है। तो आप
ब्राह्मण बच्चों को तो बापदादा ने सर्व शक्तियां वरदान में दी हैं, टाइटल ही है
मास्टर सर्वशक्तिवान। बस एक स्लोगन याद रखना, अगर एक मास में समान बनना ही है तो एक
स्लोगन याद रखना, वायदे का है - न दु:ख देना है, न दु:ख लेना है। कई यह चेक करते
हैं कि आज के दिन किसको दु:ख दिया नहीं है, लेकिन लेते बहुत सहज हैं क्योंकि लेने
में दूसरा देता है ना, तो अपने को छुड़ा देते हैं, मैंने थोड़ेही कुछ किया, दूसरे
ने दिया, लेकिन लिया क्यों? लेने वाले आप हो या देने वाले? देने वाले ने गलती की,
वह बाप और ड्रामा जाने उसका हिसाब-किताब, लेकिन आपने लिया क्यों? बापदादा ने रिजल्ट
में देखा है कि देने में फिर भी सोचते हैं लेकिन ले बहुत जल्दी लेते हैं इसलिए समान
बन नहीं सकेंगे। लेना नहीं है कितना भी कोई दे, नहीं तो फीलिंग की बीमारी बढ़ जाती
है इसलिए अगर छोटी-छोटी बातों में फीलिंग बढ़ती है तो वेस्ट थॉट्स खत्म नहीं हो सकते
फिर बाप के साथ कैसे चलेंगे! बाप का प्यार है, बाप आपको छोड़ नहीं सकता, साथ लेके
ही जाना है। मंजूर है? पसन्द है ना? पसन्द है तो हाथ उठाओ। पीछे-पीछे तो नहीं आना
है ना! अगर साथ चलना है तो गिफ्ट देनी ही पड़ेगी। एक मास सब अभ्यास करो, न दु:ख लेना
है न दु:ख देना है। यह नहीं कहना मैंने दिया नहीं, उसने ले लिया, कुछ तो होता है।
परदर्शन नहीं करना, स्व-दर्शन। हे अर्जुन मुझे बनना है।
देखो, बापदादा ने
रिपोर्ट में देखा, सन्तुष्टता की रिपोर्ट अभी मैजॉरिटी की नहीं थी, इसीलिए बापदादा
फिर एक मास के लिए अण्डरलाइन कराते हैं। अगर एक मास अभ्यास कर लिया तो आदत पड़
जायेगी। आदत डालनी है। हल्का नहीं छोड़ना, यह तो होता ही है, इतना तो चलेगा, नहीं।
अगर बापदादा से प्यार है तो प्यार के पीछे क्या सिर्फ एक क्रोध विकार को कुर्बान नहीं
कर सकते? कुर्बान की निशानी है - फरमान मानने वाला। व्यर्थ संकल्प अन्तिम घड़ी में
बहुत धोखा दे सकता है क्योंकि चारों ओर अपने तरफ दु:ख का वायुमण्डल, प्रकृति का
वायुमण्डल और आत्माओं का वायुमण्डल आकर्षण करने वाला होगा। अगर वेस्ट थॉट्स की आदत
होगी तो वेस्ट में ही उलझ जायेंगे। तो बापदादा का आज विशेष यह हिम्मत का संकल्प है,
चाहे विदेश में रहते, चाहे भारत में रहते, हैं तो बापदादा एक के बच्चे। तो चारों ओर
के बच्चे हिम्मत और दृढ़ता रख, सफल मूर्त बन विश्व में यह एनाउन्स करें कि काम नहीं,
क्रोध नहीं, हम परमात्म बच्चे हैं। दूसरों से शराब छुड़ाते, बीड़ी छुड़ाते, लेकिन
बापदादा आज हर एक बच्चे से क्रोधमुक्त, काम विकार मुक्त इन दो की हिम्मत दिलाके
स्टेज पर विश्व को दिखाने चाहते हैं। पसन्द है? दादियों को पसन्द है? पहली लाइन वालों
को पसन्द है? मधुबन वालों को पसन्द है? मधुबन वालों को भी पसन्द है। फॉरेन वालों को
भी पसन्द है? तो जो पसन्द चीज़ होती है उसे करने में क्या बड़ी बात है। बापदादा भी
एकस्ट्रा किरणें देगा। ऐसा नक्शा दिखाई दे कि यह दुआयें देने वाला और दुआयें लेने
वाला ब्राह्मण परिवार है क्योंकि समय भी पुकार रहा है, बापदादा के पास तो एडवांस
पार्टी वालों की भी दिल की पुकार है। माया भी अभी थक गई है। वह भी चाहती है कि अभी
हमें भी मुक्ति दे दो। मुक्ति देते हैं लेकिन बीच-बीच में थोड़ी दोस्ती कर देते हैं
क्योंकि 63 जन्म दोस्त रही है ना! तो बापदादा कहते हैं हे मास्टर मुक्तिदाता अभी
सबको मुक्ति दे दो क्योंकि सारे विश्व को कुछ न कुछ प्राप्ति की अंचली देनी है,
कितना काम करना है क्योंकि इस समय, समय आपका साथी है, सर्व आत्माओं को मुक्ति में
जाना ही है, समय है। दूसरे समय में अगर आप पुरुषार्थ भी करो, तो समय नहीं है, इसलिए
आप दे नहीं सकते। अब समय है इसलिए बापदादा कहते हैं पहले स्व को मुक्ति दो, फिर
विश्व की सर्व आत्माओं को मुक्ति देने की अंचली दो। वह पुकार रहे हैं, आपको क्या
दु:खियों की पुकार का आवाज नहीं आता? अगर अपने में ही बिजी होंगे तो आवाज सुनने नहीं
आता। बार-बार गीत गा रहे हैं - दु:खियों पर कुछ रहम करो...। अभी से दयालु, कृपालु,
मर्सीफुल संस्कार बहुतकाल से नहीं भरेंगे तो आपके जड़ चित्र में मर्सीफुल का, कृपा
का, रहम का, दया का वायब्रेशन कैसे भरेगा।
डबल फॉरेनर्स समझते
हैं, आप भी द्वापर में मर्सीफुल बनके अपने जड़ चित्रों द्वारा सबको मर्सी देंगे ना!
आपके चित्र हैं ना या इन्डिया वालों के ही हैं? फॉरेनर्स समझते हैं कि हमारे चित्र
हैं? तो चित्र क्या देते हैं? चित्रों के पास जाके क्या मांगते हैं? मर्सी, मर्सी
की धुन लगा देते हैं। तो अभी संगम पर आप अपने द्वापर कलियुग के समय के लिए जड़
चित्रों में वायुमण्डल भरेंगे तब आपके जड़ चित्रों के द्वारा अनुभव करेंगे। भक्तों
का कल्याण तो होगा ना! भक्त भी हैं तो आपकी वंशावली ना। आप सभी ग्रेट ग्रेट ग्रैण्ड
फादर की सन्तान हो। तो भक्त हैं, चाहे दु:खी हैं, लेकिन हैं तो आपकी ही वंशावली। तो
आपको रहम नहीं आता? आता तो है लेकिन थोड़ा-थोड़ा और कहाँ बिजी हो जाते हो। अभी अपने
पुरुषार्थ में समय ज्यादा नहीं लगाओ। देने में लगाओ, तो देना लेना हो जायेगा।
छोटी-छोटी बातें नहीं, मुक्ति दिन मनाओ। आज का दिन मुक्ति दिवस मनाओ। ठीक है? हाँ
पहली लाइन ठीक है? मधुबन वाले ठीक है?
आज मधुबन वाले बहुत
प्यारे लग रहे हैं क्योंकि मधुबन को फॉलो बहुत जल्दी करते हैं। हर बात में मधुबन को
फॉलो जल्दी करते हैं, तो मधुबन वाले मुक्ति दिवस मनायेंगे ना तो सभी फॉलो करेंगे।
आप मधुबन निवासी सभी मास्टर मुक्ति दाता बन जायें। बनना है? (सभी हाथ उठा रहे हैं)
अच्छा बहुत हैं। अच्छा, अभी बापदादा सभी को चाहे यहाँ सम्मुख बैठे हैं, चाहे देश
विदेश में दूर बैठे सुन रहे हैं या देख रहे हैं, सभी बच्चों को ड्रिल कराते हैं। सभी
रेडी हो गये। सब संकल्प मर्ज कर दो, अभी एक सेकण्ड में मन बुद्धि द्वारा अपने स्वीट
होम में पहुंच जाओ..... अभी परमधाम से अपने सूक्ष्मवतन में पहुंच जाओ.... अभी
सूक्ष्मवतन से स्थूल साकार वतन अपने राज्य स्वर्ग में पहुंच जाओ..... अभी अपने
पुरुषोत्तम संगमयुग में पहुंच जाओ..... अभी मधुबन में आ जाओ। ऐसे ही बार-बार
स्वदर्शन चक्रधारी बन चक्र लगाते रहो। अच्छा।
चारों ओर के लवली और
लकी बच्चों को, सदा स्वराज्य द्वारा स्व-परिवर्तन करने वाले राजा बच्चों को, सदा
दृढ़ता द्वारा सफलता प्राप्त करने वाले सफलता के सितारों को, सदा खुश रहने वाले
खुशनसीब बच्चों को, बापदादा का आज के जन्म दिन की, बाप और बच्चों के बर्थ डे की
बहुत-बहुत मुबारक, दुआयें और यादप्यार, ऐसे श्रेष्ठ बच्चों को नमस्ते।
वरदान:-
विश्व कल्याण
की जिम्मेवारी समझ समय और शक्तियों की इकॉनामी करने वाले मास्टर रचता भव
विश्व की सर्व आत्मायें
आप श्रेष्ठ आत्माओं का परिवार है, जितना बड़ा परिवार होता है उतना ही इकॉनामी का
ख्याल रखा जाता है। तो सर्व आत्माओं को सामने रखते हुए, स्वयं को बेहद की सेवार्थ
निमित्त समझते हुए अपने समय और शक्तियों को कार्य में लगाओ। अपने प्रति ही कमाया,
खाया और गँवाया - ऐसे अलबेले नहीं बनो। सर्व खजानों का बजट बनाओ। मास्टर रचयिता भव
के वरदान को स्मृति में रख समय और शक्ति का स्टॉक सेवा प्रति जमा करो।
स्लोगन:-
महादानी वह है जिसके संकल्प और बोल द्वारा सबको वरदानों की प्राप्ति हो।
अव्यक्त इशारे -
संकल्पों की शक्ति जमा कर श्रेष्ठ सेवा के निमित्त बनो
आपकी जो सूक्ष्म
शक्तियां मंत्री वा महामंत्री हैं, (मन और बुद्धि) उन्हें अपने आर्डर प्रमाण चलाओ।
यदि अभी से राज्य दरबार ठीक होगा तो धर्मराज की दरबार में नहीं जायेगे। धर्मराज भी
स्वागत करेगा। लेकिन यदि कन्ट्रोलिंग पावर नहीं होगी तो फाइनल रिज़ल्ट में फाइन भरने
के लिए धर्मराज पुरी में जाना पड़ेगा। यह सजायें फाइन हैं। रिफाइन बन जाओ तो फाइन
नहीं भरना पड़ेगा।
सूचनाः- आज मास का
तीसरा रविवार है, सभी राजयोगी तपस्वी भाई बहिनें सायं 6.30 से 7.30 बजे तक, विशेष
योग अभ्यास के समय भक्तों की पुकार सुनें और अपने ईष्ट देव रहमदिल, दाता स्वरूप में
स्थित हो सबकी मनोकामनायें पूर्ण करने की सेवा करें।