01-09-2025 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - तुम्हें इस
पुरुषोत्तम संगमयुग पर ही उत्तम से उत्तम पुरुष बनना है, सबसे उत्तम पुरुष हैं यह
लक्ष्मी-नारायण''
प्रश्नः-
तुम बच्चे बाप
के साथ-साथ कौन-सा एक गुप्त कार्य कर रहे हो?
उत्तर:-
आदि सनातन
देवी-देवता धर्म और दैवी राजधानी की स्थापना - तुम बाप के साथ गुप्त रूप से यह
कार्य कर रहे हो। बाप बागवान है जो आकर कांटों के जंगल को फूलों का बगीचा बना रहे
हैं। उस बगीचे में कोई भी ख़ौफनाक दु:ख देने वाली चीज़ें होती नहीं।
गीत:-
आखिर वह दिन
आया आज.....
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) अपना ईश्वरीय रूहानी बर्थ डे मनाना है, रूहानी कनेक्शन रखना है, ब्लड
कनेक्शन नहीं। आसुरी जिस्मानी बर्थ डे भी कैन्सिल। वह फिर याद भी न आये।
2) अपना बैग बैगेज भविष्य के लिए तैयार करना है। अपने पैसे भारत को स्वर्ग बनाने
की सेवा में सफल करने हैं। अपने पुरुषार्थ से अपने को राजतिलक देना है।
वरदान:-
स्नेह और
सहयोग की विधि द्वारा सहज योगी भव
बापदादा को बच्चों का
स्नेह ही पसन्द है जो यज्ञ स्नेही और सहयोगी बनते हैं वह सहजयोगी स्वत:बन जाते हैं।
सहयोग सहजयोग है। दिलवाला बाप को दिल का स्नेह और दिल का सहयोग ही प्रिय है। छोटी
दिल वाले छोटा सौदा कर खुश हो जाते और बड़ी दिल वाले बेहद का सौदा करते हैं। वैल्यु
स्नेह की है चीज़ की नहीं इसलिए सुदामा के कच्चे चावल गाये हुए हैं। वैसे भल कोई
कितना भी दे लेकिन स्नेह नहीं तो जमा नहीं होता। स्नेह से थोड़ा भी जमा करते तो वह
पदम हो जाता है।
स्लोगन:-
समय और
शक्ति व्यर्थ न जाए इसके लिए पहले सोचो पीछे करो।
अव्यक्त इशारे -
अब लगन की अग्नि को प्रज्वलित कर योग को ज्वाला रूप बनाओ
बापदादा बच्चों को
विशेष इशारा दे रहे हैं - बच्चे अब तीव्र पुरुषार्थ की लगन को अग्नि रूप में लाओ,
ज्वालामुखी बनो। जो भी मन के, सम्बन्ध-सम्पर्क के हिसाब-किताब रहे हुए हैं - उन्हें
ज्वाला स्वरूप की याद से भस्म करो।