02-09-2025 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - तुम विश्व
में शान्ति स्थापन करने के निमित्त हो, इसलिए तुम्हें कभी अशान्त नहीं होना चाहिए''
प्रश्नः-
बाप किन बच्चों
को फरमानबरदार बच्चे कहते हैं?
उत्तर:-
बाप का जो
मुख्य फरमान है कि बच्चे अमृतवेले (सवेरे) उठकर बाप को याद करो, इस मुख्य फरमान को
पालन करते हैं, सवेरे-सवेरे स्नान आदि कर फ्रेश हो मुकरर टाइम पर याद की यात्रा में
रहते हैं, बाबा उन्हें सपूत वा फरमानबरदार कहते हैं, वही जाकर राजा बनेंगे। कपूत
बच्चे तो झाड़ू लगायेंगे।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) सदा स्मृति रखनी है कि हम हैं ईश्वरीय सन्तान। हमें क्षीरखण्ड होकर
रहना है। किसी को भी दु:ख नहीं देना है।
2) अन्दर में अपनी जाँच करनी है कि हमसे कोई विकर्म तो नहीं होता है! अशान्त होने
तथा अशान्ति फैलाने की आदत तो नहीं है?
वरदान:-
पवित्रता की
शक्ति द्वारा सदा सुख के संसार में रहने वाले बेगमपुर के बादशाह भव
सुख-शान्ति का फाउन्डेशन
पवित्रता है। जो बच्चे मन-वचन-कर्म तीनों से पवित्र बनते हैं वही हाइनेस और होलीनेस
हैं। जहाँ पवित्रता की शक्ति है वहाँ सुख शान्ति स्वत: है। पवित्रता सुख-शान्ति की
माता है। पवित्र आत्मायें कभी भी उदास नहीं हो सकती। वे बेगमपुर के बादशाह हैं उनका
ताज भी न्यारा और तख्त भी न्यारा है। लाइट का ताज पवित्रता की ही निशानी है।
स्लोगन:-
मैं
आत्मा हूँ, शरीर नहीं - यह चिंतन करना ही स्वचिंतन है।
अव्यक्त इशारे -
अब लगन की अग्नि को प्रज्वलित कर योग को ज्वाला रूप बनाओ
पावरफुल योग
अर्थात् लगन की अग्नि, ज्वाला रूप की याद ही भ्रष्टाचार, अत्याचार की अग्नि को
समाप्त करेगी और सर्व आत्माओं को सहयोग देगी, इससे ही बेहद की वैराग्य वृत्ति
प्रज्वलित होगी। याद की अग्नि एक तरफ उस अग्नि को समाप्त करेगी, दूसरी तरफ आत्माओं
को परमात्म सन्देश की, शीतल स्वरूप की अनुभूति करोयगी, इससे ही आत्मायें पापों की
आग से मुक्त हो सकेंगी।