03-07-2025        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - इस बेहद नाटक में तुम वन्डरफुल एक्टर हो, यह अनादि नाटक है, इसमें कुछ भी बदली नहीं हो सकता''

प्रश्नः-
बुद्धिवान, दूरादेशी बच्चे ही किस गुह्य राज़ को समझ सकते हैं?

उत्तर:-
मूलवतन से लेकर सारे ड्रामा के आदि-मध्य-अन्त का जो गुह्य राज़ है, वह दूरादेशी बच्चे ही समझ सकते हैं, बीज और झाड़ का सारा ज्ञान उनकी बुद्धि में रहता है। वह जानते हैं - इस बेहद के नाटक में आत्मा रूपी एक्टर जो यह चोला पहनकर पार्ट बजा रही है, इसे सतयुग से लेकर कलियुग तक पार्ट बजाना है। कोई भी एक्टर बीच में वापिस जा नहीं सकता।

गीत:-
तूने रात गँवाई........

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) बुद्धि को ज्ञान चिन्तन में बिजी रखने की आदत डालनी है। जब भी समय मिले एकान्त में जाकर विचार सागर मंथन करना है। बाप को याद कर सच्ची कमाई जमा करनी है।

2) दूरादेशी बनकर इस बेहद के नाटक को यथार्थ रीति समझना है। सभी पार्टधारियों के पार्ट को साक्षी होकर देखना है।

वरदान:-
मधुरता के वरदान द्वारा सदा आगे बढ़ने वाली श्रेष्ठ आत्मा भव

मधुरता ऐसी विशेष धारणा है जो कड़वी धरनी को भी मधुर बना देती है। किसी को भी दो घड़ी मीठी दृष्टि दे दो, मीठे बोल, बोल दो तो किसी भी आत्मा को सदा के लिए भरपूर कर देंगे। दो घड़ी की मीठी दृष्टि व बोल उस आत्मा की सृष्टि बदल देंगे। आपके दो मधुर बोल भी सदा के लिए उन्हें बदलने के निमित्त बन जायेंगे इसलिए मधुरता का वरदान सदा साथ रखना। सदा मीठा रहना और सर्व को मीठा बनाना।

स्लोगन:-
हर परिस्थिति में राज़ी रहो तो राज़युक्त बन जायेंगे।

अव्यक्त इशारे - संकल्पों की शक्ति जमा कर श्रेष्ठ सेवा के निमित्त बनो

जब और सब संकल्प शान्त हो जाते हैं, बस एक बाप और आप - इस मिलन की अनुभूति का संकल्प रहता है तब संकल्प शक्ति जमा होती है और योग पावरफुल हो जाता है, इसके लिए समाने वा समेटने की शक्ति धारण करो। संकल्पों पर फुल ब्रेक लगे, ढीली नहीं। अगर एक सेकण्ड के बजाए ज्यादा समय लग जाता है तो समाने की शक्ति कमजोर है।